पलासपानी पर कार्यवाई नहीं होने से बाकी 53 को मिला भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस।
जनपद से कार्यवाई कर नहीं सकते, जिला पंचायत से किसी पर होती नहीं।
पुराना रिकॉर्ड है, हर मामले की फाइल को दबा लिया जाता रहा है।
कुरैशी सीईओ के बाद नहीं हुई भीमपुर जनपद में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई।
दामजीपुरा से युनूस खान की रिपोर्ट।
दामजीपुरा। पलासपानी पंचायत में सांस्कृतिक मंच घोटाले की जांच को लगभग 3 माह से अधिक समय हो गया है। जिसमें दोष सिद्ध हुए लगभग 2 माह हो चुके हैं परंतु फिर भी संबंधित सचिव पर पंचायत विभाग द्वारा कोई कार्यवाई नहीं हुई है। भ्रष्टाचार उजागर होने के उपरांत भी उपहार स्वरूप दोषी सचिव मंगूसिंग को आदर्श पिपरिया पंचायत का प्रभार दिया गया। जिस सचिव पर इतने गंभीर आरोप सही निकाल चुके हों ओर वह फिर भी अन्य किसी पंचायत में वितीय प्रभार लिए बैठा है। क्या यह नियम अनुसार सही है। क्या पंचायत राज व्यवस्था में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई नियम अधिनियम नहीं है।जिससे जनता के विकास की राशि से अपना खुद का विकास करने वाले अधिकारियों पर अंकुश लग सके। इसी तरह 1-2 साल पहले राशि निकाल लो, काम मत करो। जब यह मुद्दा बने तब लीपा पोती कर कुछ हल्का फुल्का काम कर जान बचा लो परंतु इतने समय उस राशि का गलत उपयोग हुआ उसका क्या। ऐसे तो समस्त भीमपुर जनपद की 54 पंचायतों को भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस मिल जाएगा।
भ्रष्टाचार की कई फाइलें जिला पंचायत की गलियों में हुई गुम:
भीमपुर जनपद का पुराना इतिहास रहा है।यहां केवल कुरैशी सीईओ साहब के समय ही भ्रष्टाचार संबंधित कार्रवाईयां अपने अंजाम तक पहुंच पाई थी। जिसके बाद से आज तक लगातार जनपद से जांच प्रतिवेदन बनकर जिला पंचायत पहुंचता है परंतु जिला पंचायत की गलियों में कहीं गुम हो जाता है। बीते कई वर्षों से भ्रष्टाचार के कई मामले भीमपुर जनपद की पंचायतों में उजागर होते रहे हैं। परंतु जिला पंचायत एक विशालकाय वटवृक्ष की तरह दोषियों को शरण देकर उन्हें छाया प्रदान करते जा रही है। अभी हाल ही में पलासपानी में पूर्व सचिव मंगूसिंग की पेशी के उपरांत उन्हें मंच बनाने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है। जबकि उस पर जनपद द्वारा दोष सिद्ध करते हुए रिकवरी के लिए प्रतिवेदन जिला पंचायत को भेजा गया था, फिर भी जिला पंचायत द्वारा इस तरह से समय देना कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है।
क्या होना था क्या हुआ:
नियम अनुसार दोष सिद्ध होने के उपरांत संबंधित सचिव कि डीएससी बंद कर वित्तीय प्रभार ले लिए जाना चाहिए था।तथा मय ब्याज सहित राशि की वसूली की जानी चाहिए थी। शासकीय राशि के गबन संबंधित धारा में कार्यवाई प्रस्तावित की जानी चाहिए परंतु इसके विपरीत वर्तमान में सचिव पूर्ण प्रभार के साथ कार्यरत है। रिकवरी संबंधित कार्रवाई जिला पंचायत में अभी विचाराधीन है। जबकि जनपद के जांच में प्रतिवेदन अनुसार संबंधित को दोषी माना जा चुका है।
क्या कहते हैं:
एम.एल.त्यागी जिला पंचयत सीईओ बैतूल
संबंधित प्रकरण धारा 92 अंतर्गत दर्ज हैं, कार्यवाई प्रस्तावित हैं।