कपासी में बना मध्यप्रदेश का पहला गौ अभ्यारण्य।

समाज चाहे तो सब कुछ करके दिखा दे
कपासी में बना मध्यप्रदेश का पहला गौ अभ्यारण्य।

गौ अभ्यारण्य केन्द्र से सैयद महमूद अली चिश्ती के साथ प्रदीप शर्मा की रिपोर्ट।

हरदा। वन्य प्राणी अभ्यारण्य, पक्षी अभ्यारण्य आदि के नाम तो हमने और आपने खूब सुने हैं, मगर गौ अभ्यारण्य का नाम अपने आज तक नहीं सुना। मगर हरदा जिले के टिमरनी तहसील में समाजसेवियों ने सरकारी पहल की प्रतीक्षा किए बिना एक ऐसा गौ-अभ्यारण्य बना दिया है, जहां दो हजार से अधिक गायों के रहने, पानी, चारे के साथ उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सबसे खास बात यह कि जब अनेक गौशालाओं में चारे-पानी की कमी हो जाती है तब बीते दो वर्षों में इस गौ-अभ्यारण्य की गायों को कहीं और भटकना नहीं पड़ा।अग्निचक्र हरदा की एक स्पेशल रिपोर्ट।

If the community so desires, let it do everything.

गौस्वामियों द्वारा दुहकर सड़कों पर खुला छोड़ दी गई गौ-माता का कोई रखवाला नहीं होता। सड़कों पर यहां-वहां स्वच्छंद विचरण कर आसपास पड़े सूखे कचरे से पेट भरकर अपना गुजारा करने वाली गायों में से कई गौ-माताओं की अकाल मौत पालीथिन कि पन्नियां खाकर हो जाती है। तो कई गौ-माताएं किसी वाहन दुर्घटना का शिकार होकर असमय चल बसती हैं। इसे देखकर टिमरनी तहसील के कुछ समाजसेवियों ने ग्राम कपासी के समीप सतपुड़ा गौ अभ्यारण्य शुरू किया। जो आज दो हजार से अधिक गायों की शरणस्थली बनकर सामने आया है। इस गौ अभ्यारण्य में चारे पानी के साथ उनके उपचार के लिए एक डाक्टर की व्यवस्था उपलब्ध कराई है जो समय-समय पर आकर इनकी जांच कर इलाज करते है। इस गौ अभ्यारण्य में गाय-बैल, बछड़े, गर्भवती गायों और नवजात बछड़ा बछड़ियों के रहने की व्यवस्था पृथक-पृथक कर उनके आहार पानी की व्यवस्था की जाती है। इनकी देखभाल के लिए कुछ सेवक रखने के साथ समाज सेवी स्वयं भी काम करने आते हैं।

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गौ-अभ्यारण्य के बारे में क्या कहते हैं समाजसेवी:

गौ अभ्यारण्य के बारे में आरएसएस कार्यकर्ता एवं समाजसेवी सुजीत शर्मा ने बताया कि बिना सरकारी मदद के यह काम करके समाज ने बताया कि अच्छे काम करने के लिए किसी मदद की जरूरत नहीं। समाज स्वयं मदद करने आएगा। हमें संतोष है कि आज यह अभ्यारण्य सैकड़ों गायों की शरणस्थली बन गया है।

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इधर विजय सिंह सावनेर कहते हैं कि अभ्यारण्य की व्यवस्था करने में सभी साथ दे रहे हैं। इसमें सभी दलों और विचारधारा के लोग एकसाथ होकर कार्य कर रहे हैं।

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व्यवस्था संभाल रहे बृजेश रिछारिया बताते हैं कि इस अभ्यारण्य की व्यवस्था पूरे समाज के लोग कर रहे हैं। अभी हमने गोबर की खाद और कंडे लकड़ी बनाने का काम शुरू किया है। आने वाले समय में इस गौ अभ्यारण्य को और विस्तार देकर आधुनिक बनाया जाएगा। मगर इसके पहले ही यह आमलोगों के लिए किसी गौ तीर्थ के रूप में उभर गया है। जहां लोग आकर गौ सेवा कर पुण्य कमाते हैं।

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गौ अभ्यारण्य केन्द्र से सैयद महमूद अली चिश्ती के साथ प्रदीप शर्मा की रिपोर्ट।

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