अवैध रेत कारोबारियों पर प्रशासन मेहरबान कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति।
संभाग ब्यूरो वीरेंद्र पटेल की रिपोर्ट।
बलरामपुर। बलरामपुर रामानुजगंज जिले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत इन दिनों रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है। ग्राम पंचायत बूढ़ाडॉङ पंनसारा के बाद अवैध रेत उत्खनन कारोबार रघुनाथनगर क्षेत्र के गुडरु, चपोता, बलंगी, बेबदी क्षेत्र की नदियों में बेखौफ होकर खनन करने में सक्रिय हो गए हैं। वहीं क्षेत्र के लोग काफी नाराज दिख रहे हैं। कल रात ग्राम पंचायत गुडरु में लोगों ने रेत खनन पर विरोध जताते हुए दो ट्रकों को रात से रोक कर रखा है। उनका कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी रेत खनन का मूक दर्शक बन कर समर्थन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने दो ट्रकों को रोकने के बाद विकासखंड के आला अफसरों को इसकी जानकारी दी।सुबह मौके पर बलंगी पुलिस चौकी प्रभारी और रघुनाथनगर तहसीलदार मौके पर पहुंचे। दो वाहनों को एमवी एक्ट के तहत कार्यवाही करने की बात उन्होंने कही लेकिन क्या अधिकारियों को यह नहीं दिखता कि यह खनन पूर्णता अवैध है और एमबी एक्ट के तहत कार्यवाही कर थोड़े बहुत जुर्माने के बाद ट्रक तत्काल छूट जाते हैं। इससे साफ जाहिर यह होता है कि प्रशासनिक अधिकारी भी दबाव में हैं और इस तरह के अवैध रेत खनन पर मूक दर्शक बन कर समर्थन दे रहे हैं। लेकिन मुद्दे की बात यह है कि राजस्व विभाग और खनिज विभाग इन पर शिकंजा क्यों नहीं कसता। हल्के फुल्के कार्यवाही दिखावे के लिए किए जाते हैं। जबकि अवैध खनन की शिकायत क्षेत्र में बहुत ज्यादा है।
आपको बता दें कि रेत कारोबारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि बिना किसी लीज के किसी भी नदी में सीधे पोकलेन मशीन उतारकर खनन कर रहे हैं। वहीं उनके इस रवैए को लेकर ग्रामीणो द्वारा विरोध तो करते हैं लेकिन माइनिंग विभाग, राजस्व विभाग और परिवहन विभाग किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लेता। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में भी कई बार हमने अवैध रेत खनन का विरोध किया है। जिसके बाद प्रशासन ने ग्रामीणों पर ही मामला दर्ज कर दिया है। आखिर ऐसा क्या दबाव है।प्रशासनिक अधिकारियों पर की वह अवैध कामों को संरक्षण दे रहे हैं और ग्रामीणों पर अत्याचार कर रहे हैं।
इसी तरह खनन चलता रहा तो लोग पानी के लिए तरसेंगे।
हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे की बिलासपुर शहर के समीप वर्षों पूर्व अरपा नदी में भी ठीक इसी प्रकार रेत का खनन किया जा रहा था। आज अरपा नदी की स्थिति ऐसी है की एक बूंद पानी अरपा नदी में नहीं रहता है। पूरी नदी प्लेग्राउंड बन चुकी है। अगर ऐसा ही खनन क्षेत्र के सभी नदियों में चलता रहा तो लोग पानि के लिए तरसेंगे किसान खेती नहीं कर सकेंगे। वहीं जहां सात सौ आठ सौ रुपए प्रति ट्रैक्टर लोगों को बालू मिलता था। अब वह 12-14 सौ रुपए में मिल रहा है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा।
संभाग ब्यूरो वीरेंद्र पटेल की रिपोर्ट।