कोरोना वायरस से घबराए नहीं बल्कि बचने का उपाय करें- राजेश्री महन्त जी।
प्राथमिक इलाज आपके अपने हाथों में हैं इसकी कमी से कभी-कभी रोग भयावह रूप ले लेता है।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।
शिवरीनारायण। प्राणी जगत में केवल मनुष्यों के द्वारा ही अस्पताल बनाया जाता है। कभी-कभी इनके द्वारा निर्मित अस्पतालों में अन्य जीवों को भी इन्हीं के द्वारा ले जाया जाता है। सभी प्राणी अपना निरोगी जीवन स्वयं जीते हैं। किसी कारण के जांच प्रक्रिया से बचें, नेगेटिव और पॉजिटिव के चक्कर में जान जोखिम में ना डालें।

कोरोना वायरस के संक्रमण से संपूर्ण विश्व प्रभावित हुआ है। भारत वर्ष इससे अपेक्षा से अधिक ग्रसित हुआ है इसकी पूर्णतः समाप्ति के कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में हम सभी को अत्यंत धैर्य एवं सूझबूझ के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यह बातें श्री दूधाधारी मठ एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग ने अभिव्यक्त कहीं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस जितना भयावह है उससे अधिक उसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव लोगों पर दिखाई दे रहा है। लोग भयभीत होकर चिकित्सालय की ओर अपना रुख कर रहे हैं। इससे स्थिति और भी चिंताजनक होती जा रही है।

ध्यान रहे प्रत्येक रोग का कोई ना कोई प्राथमिक उपचार अवश्य होता है। इसका भी प्राथमिक उपचार आपके अपने हाथों में है। सर्दी खांसी आने की स्थिति में एकदम से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। कारण कि यह सामान्य सर्दी खांसी भी हो सकती हैं। इसलिए यदि कोई लक्षण आपको अपने आप में महसूस हो तो इसका प्राथमिक उपचार स्वयं करें इसके लिए राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए गाइड लाइन का भी पालन कर सकते हैं। नमक डालकर गर्म पानी से दिन में 5 से 6 बार गरारा अवश्य करें। तुलसी पत्ती का रस, अदरक, काली मिर्च, लौंग, चाय कॉफी जैसे गरम पदार्थों का सेवन करें। सामान्य सर्दी खांसी इनके उपयोग से तीन-चार दिन में नियंत्रित हो जाएगी। यदि परेशानी ज्यादा हो तब अपना टेस्ट अवश्य कराएं अन्यथा सामान्य परिस्थिति में नेगेटिव पॉजिटिव के चक्कर में अपने आप को न उलझायें अन्यथा डॉक्टर जहां एक ओर भगवान के स्वरुप में आपकी प्राणों की रक्षा करते हैं वहीं दूसरी ओर कहीं-कहीं आपको भयावह स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। कहा गया है कि “वैद्यराज नमस्तुभयम यमराज सहोदरः यमस्यहरते प्राणं त्वं प्रणानि धनानि च्।।” ध्यान रहे अस्पताल की आवश्यकता संपूर्ण प्राणी जगत में केवल मनुष्यों को ही पड़ती है। कभी-कभी इनके द्वारा बनाए हुए इन अस्पतालों में अन्य जीवों को भी इन्हीं के द्वारा ले जाया जाता है। अन्यथा सभी प्राणी अपना संपूर्ण जीवन बिना किसी उपचार के या स्वयं के द्वारा अर्जित प्राकृतिक ज्ञान से व्यतीत करते हैं। अस्पताल अवश्य जाएं लेकिन अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही कारण कि जहां एक ओर यहां पहुंचने पर आपकी भीड़ वाले स्थानों में संक्रमित होने की संभावना है वहीं दूसरी ओर बिना किसी कारण के भीड़ बढ़ने की स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका असर पड़ता हैं साथ ही डॉक्टरों का कीमती समय भी नष्ट होता है, यह संपूर्ण संसार ईश्वर के द्वारा बनाया गया है इसलिए इसका नियंत्रण भी प्रकृति के द्वारा स्वयं होता है। हमारे अंदर प्रकृति प्रदत्त रोग प्रतिरोधक क्षमताएं होती है जो कोरोनावायरस के जैसे अनेक वायरसों से स्वयं हमारी रक्षा करती रहती है। सरकार के द्वारा जनहित में जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। स्वयं सुरक्षित रहें एवं समाज को भी सुरक्षित रखने में अपनी भूमिका का निर्वाह करें।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।