अस्पतालों से आखिर क्यों नहीं सरकार मरीज की मौत का कारण पूछती।

कोरोना पेशेंट के पास किसी एक परिजन को बैठाने की व्यवस्था करें सरकार, ताकि मरीज की हिम्मत बंध सके।

आखिर कब तक कोरोना के नाम पर मौत का यह तांडव इसी तरह चलता रहेगा।

अस्पतालों से आखिर क्यों नहीं सरकार मरीज की मौत का कारण पूछती।

प्रदेश से गायब है स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी।


विजया पाठक, एडिटर जगत विजन, भोपाल

मध्यप्रदेश में कोरोना का संकट लगातार गहराता जा रहा है। कहीं से भी किसी भी प्रकार की फिलहाल राहत दिखाई नजर नहीं पड़ती। आए दिन पूरे प्रदेश में हजारों लोगों की मौत हो रही हैं। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या महज आठ से दस ही बताते हैं। बल्कि राजधानी के अलग-अलग विश्रामघाटों पर जलने वाली लाशों को देखने के बाद हकीकत कुछ और ही नजर आती है। पूरे प्रदेश में अब तक 4.5 लाख से ज्यादा कोरोना मरीज मिल चुके हैं। वहीं, अब तक 9 हजार से ज्यादा मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। 90 हजार से ज्यादा अभी भी एक्टिव केस हैं मध्यप्रदेश में। जबकि आए दिन प्रदेश में मिलने वाले मरीजों की अब संख्या 10 हजार से ज्यादा ऊपर हो गई है। सिर्फ राजधानी की बात करें तो बीते दो सप्ताह से भी अधिक समय से भोपाल में हर दिन 1700 से ज्यादा केस आ रहे हैं। वहीं, प्रतिदिन 225 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो रही है। अब सवाल यह उठता है कि जब स्वास्थ्य विभाग इलाज के पर्याप्त संसाधन जुटा लेने के दावें कर रहा है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु क्यों हो रही है। यह एक बड़ा सवाल है जिसका जबाव आज की तारीख में किसी के पास नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि प्रदेश सहित भोपाल में इतनी बड़ी संख्या में मरने वाले मरीजों का एक बड़ा कारण है उन मरीजों का अकेलापन। उन्हें इलाज के दौरान उनके परिजनों से न मिलने दिया जाना। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीते दिन जनसंपर्क के वरिष्ठ अधिकारी मनोज पाठक की मौत। सुबह अपने परिजनों से जिस व्यक्ति ने बात की शाम तक उसी व्यक्ति के मौत की खबर हॉस्पिटल से आती है। इस बीच ऐसी क्या घटना होती है कि व्यक्ति दम तोड़ रहा है। सरकार को तत्काल प्रभाव से पूरे प्रदेश के कोविड केयर सेंटर में यह व्यवस्था लागू करना चाहिए कि एक कोविड पेशेंट के साथ उनका एक परिवार का व्यक्ति देखभाल के लिए रखा जाए। उस व्यक्ति को पीपीई किट पहनाकर एक से डेढ़ घंटे के लिए मरीज के पास भेजा जाना चाहिए ताकि कम से कम परिवार का व्यक्ति मरीज को संबल और साहस देने का काम करें। ज्यादातर मरीज तो सिर्फ इसलिए अपनी हिम्मत छोड़ रहे हैं क्योंकि हॉस्पिटल में दूसरे मरीजों की हालत देखकर वो हैरान हैं। एक के बाद एक उसके ही आसपास होती मौतें उसे जीने का साहस छुड़वा देती हैं। इतना ही नहीं एक ओर उदाहरण है जनसंपर्क के एक अन्य अधिकारी राजेश मलिक की पत्नी की मौत। प्रदेश के एक वरिष्ठ रिटायर्ड अधिकारी की पत्नी एम्स जैसे अस्पताल में बेड के लिए दरबदर भटकती रही और अंततः जब तक उसे बेड मिला तब तक वो सांसे छोड़ चुकी थीं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश के इतने प्रभावशाली लोगों के साथ इस तरह की घटना हो रही हैं तो अन्य जिलों में आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार होगा। यह सोच कर ही रूह कांप उठती है।

एक सवाल और जेहन में आता है कि आखिर सरकार अस्पतालों से मरने वाले मरीजों की मौत का कारण क्यों नहीं पूछती। क्यों उन्हें तुरंत कोविड गाइड लाइन का नाम लेकर तुरंत पीपीई किट पहनाकर शमशान भेज दिया। इतना ही नहीं चिरायु हॉस्पिटल में तो डॉक्टरों द्वारा एक मरीज से ऑक्सीजन मास्क निकालकर दूसरे मरीज को ऑक्सीजन मास्क लगाने जैसे गंभीर वीडियो सामने आए हैं। ऐसे में प्राणदाता ही इस समय प्राण लेने में लगे हुए हैं। इस पर सरकार को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के प्रयासों की सराहना करना होगी कि वो खुद दिन रात एक करके लगातार प्रदेश में व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पूरी पूरी ताकत के साथ मरीजों को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और बेड दिलाने की व्यवस्था में जुटे हैं। ताकि प्रदेश में कोरोना को स्थिर किया जा सके और मरने वाले मरीजों की संख्या में लगाम लगाई जा सके।

Health Minister Prabhuram Chaudhary is missing from the state.

प्रदेश से गायब है स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी।

मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, वह बेहद डरावना हो गया है। अस्पतालों के सभी बेड फुल हो चुके हैं, राज्य में ऑक्सीजन खत्म होने की नौबत आ गई है। संक्रमित मरीज रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहीं कोई पता नहीं है।

Health Minister Prabhuram Chaudhary is missing from the state.

कांग्रेस पार्टी ने उनको निशाने पर लेते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि जो कई भी मंत्री जी का पता बताएगा, उसको  11 हजार 1 रुपए का इनाम दिया जाएगा। एक बात विचार करने योग्य है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि अब हर जिले को एक मंत्री को ड्यूटी में दिया है। जिले ज्यादा हैं इसलिए किसी मंत्री को 1 किसी को 2 जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं। लेकिन कई अस्पतालों में इंजेक्शन में पानी मिलाकर मरीजो का लगाया जा रहा है नर्स की यह लापरवाही भी मरीजो की मौत का कारण है। ऐसे में सिंधिया खेमे से आये नाकाम मंत्री की प्रदेश को कितनी आवश्यकता है यह बात एक बार मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता से जरूर पूंछे।

After all, why not the government to ask the reason for the death of the patient.

विजया पाठक जगत विज़न, भोपाल।

पसंद आई खबर, तो करें शेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *