पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रहे ग्रामीण कोई नहीं लेने वाला इनकी सुध।
ग्राम पंचायत में रखे पानी के टैंकर भी बने शोपीस नहीं आ रहे इस संकट की घड़ी में काम तो वहीं ग्राम में लगे सभी हैंडपंप भी पड़े हैं खराब।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से आज तक नहीं आए विधायक महोदय लोगों में देखा गया काफी आक्रोश।
गुनौर से जीतेन्द्र रजक की रिपोर्ट।
जब वोट लेनी होती है तो जनता को काफी सारे वादे करके इनसे वोट ले ली जाती हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई इन लोगों की सुध लेने वाला नहीं होता।
हम बात कर रहे हैं पन्ना जिले की गुनौर तहसील पवई विधानसभा अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुड़वारी की जहां पर पानी के लिए लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।
इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अगर हम जमीनी स्तर पर देखें तो वास्तव में लोग किस प्रकार से अपना जीवन यापन गुजार रहे हैं।
यह तो भगवान ही जाने लेकिन अगर हम इन ग्रामीणों की सुनें तो इस समय गर्मी प्रारंभ होते ही नदी, तालाब, कुएं और हैंडपंपों में पानी का स्तर काफी नीचे हो जाने के कारण लोग पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। एक तरफ कोरोनार जैसी महामारी और दूसरी तरफ पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग।
ऐसे में कहां सोशल डिस्टेंसिंग और कहां मुंह पर मास्क। हम बात कर रहे हैं पवई विधानसभा अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुड़वारी की जहां पर देखा गया कि लोग छोटे छोटे गड्ढे खोदकर नदी के किनारे उस गड्ढे से पीने योग्य पानी निकाल रहे हैं।
सुबह से लेकर रात तक लोग पानी के इंतजार में बैठे रहते हैं तब कहीं जाकर एक-एक करके लोग अपने अपने घरों को पीने के लिए पानी ले जाते हैं।
इन लोगों की सुध लेने वाला ना तो कोई नेता है और ना ही कोई कर्मचारी है। ऐसे में लोगों का गुस्सा नेताओं के ऊपर फूट रहा है। लोगों का कहना है कि हमारे पास जब उन्हें वोट अटकती है तब ही शक्ल दिखाई जाती है। उसके बाद हमारी क्या समस्याएं हैं। हम किस तरीके से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इस तरफ़ को देखने के लिए आज तक ना तो कोई विधायक ना मंत्री ना ही पन्ना जिले का कोई वरिष्ठ अधिकारी हमारी समस्याओं का निराकरण करने आते हैं।
लगातार हम 20 वर्षों से नदी का दूषित पानी पीने के लिए और गड्ढों का पानी गर्मियों के मौसम में पीने के लिए मजबूर हैं। बरसात के मौसम में भी इसी नदी का पानी पीते हैं जोकि बिल्कुल दूषित और बदबूदार होता है। ऐसे में कहां तक लोग बीमारियों से बचेंगे। स्वभाविक है कि बीमारियां तो फैलेगी।
जब हमारे संवाददाता इन ग्रामीण लोगों के बीच में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हाल जानना चाहा तो इनका कुछ अलग ही कहना था। आइए इस खबर के माध्यम से हम आपको दिखाते हैं कि किस तरीके से निचले स्तर पर लोग अपना जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं लेकिन इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है जबकि पहले भी कई बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से पानी की समस्या के संबंध में खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं।
फिर भी समस्या जस की तस ग्रामीण क्षेत्र में बनी हुई और इनकी सुध लेने वाला ना तो प्रशासनिक अधिकारी है ना ही नेता है। अब देखना यह होगा कि खबर दिखाने के बाद क्या इन लोगों के लिए कोई व्यवस्था की जाती है या हमेशा की तरह से ही इन्हें इसी हाल में दूषित पानी पीने के लिए छोड़ दिया जाता है।
गुनौर से जीतेन्द्र रजक की रिपोर्ट।