देश को तो भगवान ही बचाते हैं किंतु इन्हें इतना अकर्मण्य नहीं होना था -राजेश्री महन्त।
श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नहीं, दफनाने के लिए जगह नहीं ऐसा दृश्य इस देश ने कभी भी नहीं देखा।
अक्टूबर तक वैक्सीन निर्यात नहीं करने की योजना सही किंतु निर्णय लेने में देरी हो गई।
आने वाले समय में जब बच्चे संक्रमित होंगे तब सरकार के सामने चुनौतियां भी इससे बड़ी होगी।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट
भारतवर्ष में एक से बढ़कर एक त्रासदी आई हमने बड़ी से बड़ी महामारियों का सामना किया किंतु अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और मृतक को दफनाने के लिए जगह की कमी कभी भी देखने को प्राप्त नहीं हुई और ना ही इसका कहीं कोई उल्लेख मिला। देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत ही भयावह और रोंगटे खड़े कर देने वाली है। यह बातें महामंडलेश्वर के पद से विभूषित छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज पीठाधीश्वर श्री दूधाधारी मठ तथा श्री शिवरीनारायण मठ ने अभिव्यक्त की।
उन्होंने कहा कि गंगा मैय्या लोगों के मृत शव से भरी पड़ी हैं। चारों ओर अभूतपूर्व नजारा दृष्टिगोचर हो रहा है। स्थिति यहां तक आ पहुँची है कि शवों को टायर, प्लास्टिक की झिल्ली, बोरी आदि से दाह संस्कार किए जाने के दु:खद दृश्य सामने आ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में हाई कोर्ट दिल्ली की चिंता एकदम सही है। अदालत के द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए यह कहा जाना कि भगवान ही इस देश को बचाए। इस पर राजेश्री महन्त महाराज ने कहा कि देश को तो भगवान ही बचाते हैं और बचाते रहेंगे। श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है “तपबल रचइ प्रपंचु विधाता । तप बल विष्नु सकल जग त्राता।। तब बल संभु करहिं संधारा। तप बल सेषु धरइ महिभारा।।” परमात्मा ही अपने तप के आधार पर इस संसार का संचालन करते हैं लेकिन इन्हें इतना अकर्मण्य नहीं होना चाहिए था कि कोरोना वायरस का संक्रमण इस देश में पिछले लगभग एक वर्षों से व्याप्त है, बारह महीने बीत जाने के पश्चात 21वीं सदी के भारत में जीते हुए हम अपने देश के लोगों की जान को बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में मूलभूत आवश्यकता वैक्सीन की व्यवस्था नहीं कर सके। यह अत्यंत ही दु:खद एवं चिंतनीय विषय है, देश में ना तो टीका लगाने वालों की कमी है और न हीं लगवाने वालों की। यदि कमी किसी बात की है तो वह है केवल और केवल वैक्सीन की। इसे उचित मात्रा में उपलब्ध करा कर सीमित समय में वैक्सीनेशन के कार्य को दिन रात परिश्रम करके पूर्ण किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। जो कहीं पर भी दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। विश्व के कुछ देशों में जहां यह बीमारी भयावह रूप धारण कर चुकी थी आज उन देशों की स्थिति बहुत अच्छी है। अमेरिका जैसे साधन संपन्न देश अब मास्क लगाने से भी मनाही कर चुका है। हमारे देश की स्थिति विगत वर्ष इतनी चिंताजनक नहीं थी, यहां गिनती के दो-चार संक्रमित व्यक्ति ही थे। यदि इसका सही समय पर समुचित उपचार हो गया होता तो आज यह भयावह स्थिति नहीं होती। केंद्र सरकार से कहीं ना कहीं इसमें भारी चूक हुई है जिसके कारण त्रासदी से आज पूरा देश झुलस रहा है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 तक वैक्सीन दूसरे देशों में निर्यात नहीं करने की सरकार की सोच उचित है किंतु यह देरी से लिया गया निर्णय है। यदि यह निर्णय प्रारंभ में ही ले लिया गया होता तो बहुत सी जान बचाई जा सकती थी। तीसरी लहर में जब बच्चे संक्रमित होंगे तब सरकार के सामने चुनौतियां इससे भी बहुत बड़ी होंगी। छोटे छोटे बच्चों को एकांत में क्वारनटाइन कर पाना बड़ा मुश्किल होगा, उनके साथ माता पिता की उपस्थिति अनिवार्य होगी। ऐसे में संक्रमण न केवल बच्चों तक सीमित होगा बल्कि परिवार तक भी फैलने की आशंका बनी रहेगी, इसलिए इसके उत्पन्न होने के पूर्व ही निदान के उपाय पर सरकार को विशेषज्ञों से सलाह लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। आने वाली भयंकर त्रासदी से बचने का एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन ही है। दो वर्ष से लेकर 15 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण के कार्य को समय के रहते सरकार को युद्ध स्तर पर पूरा करना चाहिए।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट