नीम-बीज रोपण‘ अभियान प्रारंभ किए जाने हेतु पूर्व मंत्री श्रीमती चिटनिस ने लिखा पत्र।

जब छोटी सी चिड़िया निम्बोली खाकर वृक्ष का कर्ज उतार सकती है तो फिर हम क्यों नहीं-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस।

नीम-बीज रोपण‘ अभियान प्रारंभ किए जाने हेतु पूर्व मंत्री श्रीमती चिटनिस ने लिखा पत्र।

बुरहानपुर से सोहैल खान की रिपोर्ट।

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बुरहानपुर कलेेक्टर एवं जिला वनमंडलाधिकारी को पत्र प्रेषित कर ‘नीम-बीज रोपण‘ अभियान प्रारंभ किए जाने की बात कही।

Former minister Smt. Chitnis wrote a letter to start the ‘Neem-seed Plantation’ campaign.

श्रीमती अर्चना चिटनसि ने कहा कि वर्षा ऋतु के रोहणी नक्षत्र दौरान नीम के पेड़ पर निम्बोली की बहार देखी जाती है और रोहणी-मिरग नक्षत्र दौरान ही नीम के पेड़ की छाया में ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने निम्बोली की चादर बिछा दी है। इसी दौरान निम्बोली को भूमि पर गिरने के 7 दिन की अवधि में अंकुरण नीम के बीज हेतु उपयोग में लाया जा सकता है। यह प्रोग्रामिंग स्वयं प्रकृति द्वारा पर्यावरण के संवर्धन हेतु की गई है। जैसा कि सर्वविदित है मिरग और आर्द्रा नक्षत्र में प्रायः बादल बरसते ही है। जिसमें प्रकृति की ईच्छा अनुरूप हमें निम्बोली को भूमि से उठाकर इसके अंकुरण हेतु अपने-अपने स्तर पर निरंतर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज निम्बोली को हर गांव, हर गली में नीम का बीजारोपण करने की शुरूआत करते हुए नीम के वृक्ष के नीचे निम्बोली को चुनना और निम्बोली को पानी, राख से साफ करके बीज स्वरूप में उसके बीजारोपण की विधि पर विस्तृत चर्चा कर क्षेत्र में नागरिकों से आग्रह है कि नीम हर घर, आंगन, हर गली, हर गांव को छांव दे ऐसा सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए। श्रीमती चिटनिस ने प्रेषित पत्र में कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘नीम-बीज रोपण‘‘ को अभियान के रूप में निर्णय लेने का सुअवसर है। ‘‘हमारा नीम स्वयं प्रकृति के ही पोषण और संरक्षण के लिए पल्लवित प्रजाति है। मानवता का एक सच्चा और अच्छा दोस्त। आईयें बढ़ाएं हम नीम के साथ दोस्ती का हाथ। अभी इस समय नीम की शाखायें निम्बोली से भरी है और नीम की छाया में हरी-पीली निम्बोली की चादर बिछी हुई है। वृक्षों के नीचे से प्यार भरे हाथ से निम्बोली समेटे, पीली-हरी निम्बोली को पानी में घंटे दो घंटे के लिए भिगोयें फिर गुदे को हाथ से साफ कर लें। चाहें तो राख से भी गुदा साफ कर सकते है। हां. ध्यान रहे पेड़ से अलग होने के सात से दस दिन के भीतर निम्बोली को बीज के रूप में रोपित करने पर 80 प्रतिशत से अधिक अंकुरण होता हैं। प्रकृति फले-फुले इसकी प्रोग्रामिंग प्रकृति ने स्वयं ही कर रखी है। गांव में, खेत में, रास्तों के किनारे, झाडि़यों में किसी नुकिली लम्बी वस्तु से कोई 5-6 इंच का गड्डा कर 3-4 बीज डाल दें थोड़ा पानी भी डाल दें, बारिश आ ही रही है। सात दिन में नीम का पौधा उगता हुआ दिखेगा और सात साल में बन जाएगा वृक्ष। झाड़ी, मां की कोख की तरह अत्याधिक गर्मी से, आंधी से, जानवरों से इस नन्हें पौधे को संभालेगी। छोटी सी चिडि़या निम्बोली खाती है जो वृक्ष का कर्ज उतारने बीज को बीट के साथ झाडि़यों में छोड़ जाती है ताकि फिर तैयार हो सके एक वृक्ष। आयें समेटे हम निम्बोली और लगायें अपने आस-पास नीम।‘‘ पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि रोहणी-मिरग और आर्द्रा नक्षत्र के दौरान जिले के समस्त अमले को साथ लेकर पटवारी, पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, ग्राम सेवक, नाकेदार, वन रक्षक, वन समितियां, वन के चौकीदार, जन अभियान परिषद इत्यादि का ओरिएंटेशन कर 15 दिन मिशन मोड में कार्य करने के लिए लगाया जा सकता है। जनप्रतिनिधी, सामाजिक संगठन भी प्रकृति के ऋण से उऋण होने के लिए इस अवसर का समुचित सदुपयोग कर अपना योगदान देंगे।

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