आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति का पृथक बोर्ड बनाया जाए।
ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस ने दिया निवेदन।
अकोला से सैयद असरार हुसैन की रिपोर्ट।
अकोला। केंद्रीय सरकार ने सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन आयोग को रद्द कर नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन आयोग का गठन किया है! इस आयोग के गठन में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति और सिद्दा चिकित्सा पैथी का ऑटोनॉमस पृथक बोर्ड बनाया गया!
नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन आयोग द्वारा बनाए गए पृथक बोर्ड की वजह से यूनानी चिकित्सा पद्धति के साथ नाइंसाफी और सौतेला व्यवहार किया गया! यूनानी चिकित्सा पद्धति को सिद्धा चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ा गया! जब के सिद्धा चिकित्सा पद्धति के मात्र देश में 17 कॉलेजेस है! यूनानी चिकित्सा पद्धति के भारत देश में 70 कॉलेजेस है! यह चिकित्सा पद्धति प्राचीन काल से चली आ रही है! जिसके साथ यह नाइंसाफी की गई। होना तो यह चाहिए था कि यूनानी चिकित्सा पद्धति का भी अलग से पृथक बोर्ड बनाया जाता! लेकिन यह यूनानी चिकित्सा पद्धति के साथ नाइंसाफी और सौतेला व्यवहार इस बात को दर्शाता है कि सरकार के मन में खोट है! ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस अकोला डिस्ट्रिक्ट यूनिट की ओर से जिलाधिकारी मार्फत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक निवेदन पेश किया गया! जिसमें मांग की गई के आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति का भी पृथक बोर्ड बनाया जाए! निवेदन देते समय ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस अकोला डिस्टिक यूनिट के अध्यक्ष डॉ इकबाल ईनामदार, सचिव डॉ इमरान हुसैन, उपाध्यक्ष डॉ मो. फय्याज अंसारी, डॉ समीर कुरैशी, डॉ मोहम्मद अदि डॉ मौजूद थे!
अकोला से सैयद असरार हुसैन की रिपोर्ट।