सचिव ने डकारे लाखों रुपए समतलीकरण की राशि।
ग्रामीण जनता में देखने को मिला आक्रोश।
वाड्रफनगर से दीपक जायसवाल की रिपोर्ट।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में वाड्रफनगर में ग्राम पंचायत बरती कला के रोजगार सहायक की मनमानी हितग्राही को पता नहीं समतलीकरण पास हुआ कि नहीं सचिव डकार गए चालिस हजार से ऊपर की राशि। एक फावड़ा मिट्टी भी जमीन में नहीं खोदी गई और कागजों में हो गया समतलीकरण तैयार।
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत बरती कला में रोजगार सहायक की मनमानी छठे आसमान पर है। हितग्राही को पता नहीं है कि हमारा समतलीकरण भी पास हुआ है। अंदर अंदर ही रोजगार सहायक के द्वारा लोगों की हाजरी भर कर और कागजों में समतलीकरण कर दिया फिनिश। जब पता चला गांववालों को तो गांववालों ने खुलकर रोजगार सहायक का विरोध किया। यहां तक की जिस व्यक्ति ने मनरेगा के तहत गोदी खनन का कार्य किया ही नहीं है उसके नाम पर भी मस्टर रोल तैयार कर और उसके खाते में पैसा भेज दिया गया है।
जब लोगों से पूछा गया कि आपके खाते में पैसा कैसे आया तो उनको खुद को पता नहीं है कि पैसा कौन हमारे खाते में डाला और कौन हमारा मनरेगा में हाजिरी भरा है। बातचीत के दौरान जब जनपद सीईओ वेद प्रकाश पांडे से पूछा गया तो उन्होंने बात को अनदेखा करते हुए बोले कि कोड गलत हो गया। किसी दूसरे का कार्य किसी दूसरे के कार्य में चला गया।
आपको बता दें कि मनरेगा के कार्य में सर्वप्रथम हितग्राही का डिमांड भेजा जाता है। जिस व्यक्ति का डिमांड में नाम आता है वह व्यक्ति मनरेगा में कार्य करने जाते हैं। और यह कार्य 1 दिन 2 दिन पूर्व ही होता है। डिमांड विधिवत हितग्राही के कार्य के आधार पर जनपद कार्यालय से संबंधित सचिव को दिया जाता है। यहां पर जनपद पंचायत सीईओ की बातों से यह साफ जाहिर होता है कि ऐसे कार्य में उनका भी समर्थन रोजगार सहायकों को प्राप्त है।रोजगार सहायक बरती कला कमलावती अपने फर्जी कार्य करने के लिए लगातार सुर्खियों में रहती हैं। गांव की महिलाओं ने रोजगार सहायक का खुलकर विरोध किया है। साथ ही साथ ग्राम पंचायत बरती कला के सरपंच भी रोजगार सहायक को उनकी पंचायत से दूर करने जैसी मंशा जता रहे हैं। देखने वाली बात होगी कि किस प्रकार से प्रशासन एक्शन लेता है। या सिर्फ कागजों में ही ऐसी मनमानी सिमट के रह जाती है।
वाड्रफनगर से दीपक जायसवाल की रिपोर्ट।