बरेका में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती एवं हिंदी मौलिक रचना पाठ संगोष्ठी संपन्न।

बरेका में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती एवं हिंदी मौलिक रचना पाठ संगोष्ठी संपन्न।

कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

वाराणसी। बनारस रेल इंजन कारखाना में राजभाषा पखवाड़ा 2021 के अंतर्गत आज भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती एवं हिंदी मौलिक रचना पाठ संगोष्ठी का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया।बरेका के मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री प्रमोद कुमार चौधरी ने हिंदी के उत्थान में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें एक समर्पित भाषा-साधक बताया।

Hindi original composition text seminar concluded in Bareka.

“निज भाषा उन्नति अहै” की प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि हिंदी के माध्यम से राष्ट्र का निर्माण करने वाले भारतेन्दु बाबू के त्याग, समर्पण और देशप्रेम की मिसाल कहीं नहीं मिलती। श्री चौधरी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के साथ समकालीन साहित्यकारों को कलम का सिपाही बताते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।

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कार्यक्रम के आरंभ में बरेका के वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डॉ. संजय कुमार सिंह ने अतिथियों और अभ्यागतों का स्वागत करते हुए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती के अवसर पर बरेका के हिंदी मौलिक रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया। तत्पश्चात कनिष्ठ अनुवादक डॉ.शशि कांत शर्मा ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन वृत्तांत एवं कृतियों का वर्णन प्रस्तुत किया। हिंदी मौलिक रचना पाठ के अंतर्गत सर्वप्रथम श्रीमती करुणा सिंह ने ‘हिंदी’ विषयक कविता का सस्वर पाठ किया। श्री नवल किशोर गुप्त ने ‘संघर्ष’ शीर्षक की कविता, श्री आलोक कुमार सिंह ‘बेताब’ ने प्रकृति और पर्यावरण प्रेम दर्शाने वाली गद्य-कविता ‘नदी’ प्रस्तुत किया। श्री धर्मवीर सिंह ने दोहे एवं श्री अखलाक हुसैन खान ने ओजस्वी स्वर में अपनी कविता प्रस्तुत किया। श्री मिथिलेश कुमार ने बादलों को समर्पित कविता, श्री प्रशान्त चक्रवर्ती ने लघु कथा ‘इंसान’, श्री अरविन्द प्रताप सिंह ने ‘खुली सड़क’ एवं अंत में श्री विकास पाण्डेय ने तकनीकी शब्दों का प्रयोग करते हुए ‘बरेका’ विषयक कविता प्रस्तुत किया।

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कार्यक्रम के अंत में बरेका के वरिष्ठ अनुवादक श्री विजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वरिष्ठ अनुवादक श्री अमलेश श्रीवास्तव ने संपूर्ण कार्यक्रम का अपनी चिर परिचित शैली में कुशलतापूर्वक संचालन किया।

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कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

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