बिजली विभाग शिथिल 2019 से लगातार पत्राचार पर भी कोई कार्यवाही नहीं जनता आक्रोश।

बिजली विभाग शिथिल 2019 से लगातार पत्राचार पर भी कोई कार्यवाही नहीं जनता आक्रोश।

कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

वाराणसी। दयावती मोदी अकेडमी के सामने स्थित आवासीय परिसर में विधुत खंभो को लगाने के लिए विगत 2019 से क्षेत्रीय जनता पाँच बार पत्राचार और दो बार ईमेल के माध्यम से सूचित किया पर अभी तक विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। जनता के आदेश सिंह ने बताया कि आवासीय परिसर में बिजली का कनेक्शन लगभग 200 मीटर तक बाँस बल्ली के सहारे लगाकर लोग काम चला रहे हैं। तेज हवा और बरसात में बाँस बल्ली टूटने और तार लटकने से जान माल का खतरा निरन्तर बना रहता है।

Public outrage, even on continuous correspondence from the electricity department lax 2019.

बाँस बल्लियों के बार-बार सड़ जाने के कारण सर्विस केबल जमीन पर गिर जाता है, जिसके चलते आवासों में विद्युत सप्लाई बार-बार बाधित होती रहती है, साथ ही केबल में कई जगह जॉइंट होने के कारण दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती हैं। अभी कुछ महीने पहले हाईटेंशन का तार भी टूटा था जिसको सूचित कर कार्य करवाया गया और आरोप लगाया कि दुर्घटना होने पर सरकार और विभाग मुआवजा पाँच-पाँच लाख दे सकती है पर खंभे के लिए इनके पास कोई बजट नहीं है। भाजपा के लक्ष्मण आचार्या द्वारा इस कॉलोनी में सड़क निर्माण कराकर बड़ा ही सराहनीय कार्य किया गया, पर बिजली विभाग के कृत से जनता आक्रोशित है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बार बार शिकायत करने पर भी बिजली विभाग के कान के निचे जूं तक नहीं रेंग रही है,जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाय। पूर्व में दिए गए पत्र दिनांक 12/07/2019, 16/09/2019, 02/12/2019, 27/01/2020, 12/10/2020 बिजली विभाग को भेजे गए। समस्या के स्थायी निदान हेतू 12/07/2019 से लगातार प्रयत्न किया जा रहा है पर बिजली विभाग द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। इस सन्दर्भ में एसडीओ पूर्व विद्युत वितरण रामनगर से भी दो बार मिलकर अवगत कराया जा चुका है। दो बार उर्जा मंत्रालय उत्तरप्रदेश को इमेल द्वारा और कई बार ट्विटर हैंडल पर भी ट्वीट कर सूचित किया गया पर अभी तक बिजली खंभो को लगवाने की सुध नहीं ली गयी।

Public outrage, even on continuous correspondence from the electricity department lax 2019.

कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

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