एकात्म मानववाद दर्शन’ के आलोक में ‘अंत्योदय’ हमारा लक्ष्य है।

एकात्म मानववाद दर्शन’ के आलोक में ‘अंत्योदय’ हमारा लक्ष्य है।

कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

कैंट वाराणसी। भाजपा महानगर के 13 मंडलों में मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती की पूर्व संध्या पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय के नेतृत्व में महानगर के 13 मंडलों में कार्यकर्ताओं ने जयंती मना कर उन्हें याद किया। जयंती समारोह में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीति को राष्ट्र निर्माण तथा व्यवस्था परिवर्तन का साधन मानती है। एकात्म मानववाद दर्शन के आलोक में अंत्योदय हमारा लक्ष्य है।

In the light of ‘Integral Humanism Philosophy’, ‘Antyodaya’ is our goal.

गांव, गरीब किसान, झुग्गी झोपड़ी के इंसान, बेरोजगार नौजवान, दलितों और पिछड़ों का उत्थान तथा महिलाओं का सम्मान हमारा आराध्य है। यदि हम इन्हें समृद्धि, सम्मान और स्वाभिमान, शिक्षा तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए संकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय महान चिंतक थे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के दर्शन पर श्रेष्ठ विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्म मानववाद में साम्यवाद और पूंजीवाद दोनों की समालोचना की है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित कानूनों के अनुरूप राजनीतिक कार्यवाही हेतु एक वैकल्पिक संदर्भ दिया गया है।पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि हिंदू, कोई धर्म या संप्रदाय नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है। एक कार्यक्रम में विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक दार्शनिक, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री एवं राजनीतिज्ञ थे। इनके प्रस्तुत दर्शन को एकात्म मानववाद कहा जाता है, जिसका उद्देश्य एक ऐसा स्वदेशी सामाजिक, आर्थिक मॉडल प्रस्तुत करना था। जिसमें विकास के केंद्र में मानव हो उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मानव कल्याण के लिए जिस एकात्म मानववाद के दर्शन की स्थापना की, वह भारतीय मानव को स्पर्श करने वाले प्रतीकों द्वारा व्याख्यायित किए गए थे। उनका स्वयं का जीवन बेहद अभाव में गुजरा। अभाव की छाया इतने गहरे तक पढ़ी थी कि अंत्योदय लक्ष्य बन गया। महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तरप्रदेश की ब्रजभूमि मथुरा की नगला चंद्रभान नामक गांव में हुआ था तथा 11 फरवरी 1968 को पंडित दीनदयाल की रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई। महानगर मीडिया प्रभारी किशोर कुमार सेठ के अनुसार कार्यक्रमों में मुख्य रूप से नवीन कपूर, जगदीश त्रिपाठी, अशोक पटेल, डॉक्टर आलोक श्रीवास्तव, अभिषेक मिश्रा, डॉ वीरेंद्र सिंह, डॉ सुनील मिश्र, वैभव कपूर, राजकुमार शर्मा, जेपी सिंह एडवोकेट, राजेश त्रिवेदी, आत्मा विशेश्वर, एडवोकेट अशोक कुमार, साधना वेदांती, मधुकर चित्रांश, इंजीनियर अशोक यादव, डॉ रचना अग्रवाल, पार्षद शैलेंद्र श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त किए। इनकी भी रही विशेष भागीदारी नलिन नयन मिश्र, संदीप चौरसिया, गोपाल गुप्ता, अभिषेक वर्मा गोपाल, शत्रुघ्न पटेल, जितेंद्र यादव, जगन्नाथ ओझा, अजय प्रताप सिंह, राम मनोहर द्विवेदी, सिद्धनाथ शर्मा, अजीत सिंह, रतन कुमार मौर्य, कमलेश सोनकर।कार्यक्रमों में ये भी रहे विशेष सक्रिय डॉ.गीता शास्त्री, डॉ.अनुपम गुप्ता, नीरज जायसवाल, बृजेश चौरसिया, डॉ.हरी केसरी, किशन कनौजिया, मधुप सिंह, दिलीप साहनी, विवेक मौर्य, धीरज गुप्ता, कुणाल पांडे, कुशाग्र श्रीवास्तव, शैलेंद्र मिश्रा, अभिनव पांडेय, रितिक मिश्रा आदि लोग उपस्थित रहे।

In the light of ‘Integral Humanism Philosophy’, ‘Antyodaya’ is our goal.

कैंट वाराणसी से शशीकांत गुप्ता की रिपोर्ट।

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