दामिनी खदान भूमि अधिग्रहण के सालों के बाद भी नहीं मिली नौकरी।
कालरी प्रबंधन लगातार करता रहा गुमराह। अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे किसान।
शहडोल एमपी से सुनील मिश्रा की रिपोर्ट।
शहडोल। शहडोल जिले में लगातार उद्योगों के नाम पर किसानों के साथ अन्याय ही हो रहा है। ऐसा ही एक मामला एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की दामिनी कोयला खदान का है।किसानों की भूमियों का अधिग्रहण कर कालरी प्रबंधन ने कालरी तो खोल दी किन्तु भूमिस्वामियों को उचित मुआवजा अब तक नहीं दिया गया। इसी सम्बंध में ग्रामवासियों द्वारा कलेक्टर शहडोल को ज्ञापन सौंपा गया।
10 वर्ष पूर्व किया गया था अधिग्रहण।
दामिनी भूमिगत खदान की शुरूआत वर्ष 2003-04 में हुई। कालरी प्रबंधन द्वारा वर्ष 2010-11 में ग्राम खैरहा एवं कदौंहा के किसानों की भूमि अधिग्रहित करते हुए किसानों को प्रथम लाभ मुआवजा तो कालरी प्रबंधन द्वारा दिया गया किन्तु द्वितीय लाभ रोजगार अधिग्रहण के 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक भूमिस्वामियों को रोजगार नहीं दिया गया। जबकि अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर की अध्यक्षता में किसानों और प्रबंधन के बीच डीआरसीसी बैठक खैरहा एवं कदौंहा की दिनांक 20 अक्टूबर 2019 और 04 दिसम्बर 2019 की गई। प्रबंधन के द्वारा किसानों को प्रति 02 एकड़ और क्लाविंग कर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी अनुशंसा अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर द्वारा की गई।
कालरी प्रबंधन करता रहा गुमराह।
डीआरसीसी की बैठक में लगभग 219 किसानों को नौकरी की पात्रता बनती थी जिसकी अनुशंसा की गई किन्तु कालरी प्रबंधन द्वारा लगातार किसानों को गुमराह किया गया।बैठक के समय सभी को आश्वासन दिया गया था कि आप सभी को 6-8 महीने के भीतर नौकरी दी जायेगी। किन्तु आज दिनांक तक किसी को भी नौकरी नहीं दी गई। अंततः कालरी प्रबंधन भी अब इस मामले से अपना पल्ला झाड़ रहा है चूंकि खदान से लगभग कोयला निकाला जा चुका है। संभवतः 2-3 वर्ष का काम शेष बचा है। कालरी प्रबंधन अब कह रहा है कि अब आप लोगों को नौकरी नहीं मिल सकती है।
जनप्रतिनिधियों ने भी विभिन्न स्तरों पर की सिफारिश।
किसानों द्वारा द्वितीय मुआवजा अर्थात नौकरी हेतु विभिन्न स्तरों पर आवेदन सहित शिकायत की गई किन्तु कहीं भी सुनवाई नहीं हुई।शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह के माध्यम से भी अपनी बात दिल्ली तक पहुँचाने का प्रयास किसानों द्वारा किया गया। विधायक मनीषा सिंह के माध्यम से भी कालरी प्रबंधन तक अपनी बात पहुँचाने का प्रयास किया गया किन्तु नतीजा सिफर रहा। थक हार कर अब ये किसान दामिनी खदान के मुख्य द्वार पर 22 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे।
नौकरी की आस में बीत गए कई साल।
किसानों ने बताया कि कालरी प्रबंधन का यह रवैया हमारे प्रति सही नहीं है। हमारी ही भूमि का अधिग्रहण कर कालरी प्रबंधन द्वारा अरबों-खरबों का कोयला निकाला गया और हम किसानों के साथ छल किया गया।किसानों द्वारा बताया गया कि हमारे बच्चे नौकरी की आस में अब कहीं के नहीं रहे। कालरी प्रबंधन के आश्वासन पर इंतजार करते करते अब उनके भविष्य के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। इनका कहना है: कालरी प्रबंधन द्वारा हितग्राहियों से छल किया गया है। नौकरी के इंतजार में अब हम लोग कहीं के नहीं रहे। अनिश्चितकालीन अनशन के अलावा अब कोई राश्ता दिखाई नहीं देता।
शहडोल एमपी से सुनील मिश्रा की रिपोर्ट।