ठाणे भिवंडी। पैदल ही चल पडे है गांव, भिवंडी के मजदूर।
भिवंडी। एशिया की सबसे बड़ी पावरलूम नगरी भिवंडी के मजदूर अब पैदल ही चल पड़े हैं।
इन्हें रास्ते में रोककर पुलिस, समाजसेवी और पत्रकार इस तरह से पैदल न जाने और महामारी से बचने की अपील करने के साथ-साथ रहने और भोजन की व्यवस्था देने के लिए विश्वास भी दिला रहे हैं।
लेकिन गांव जाने की जिद पर अड़े यह लोग छोटे छोटे बच्चों के साथ चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी को भी नजरअंदाज कर चल पड़े हैं।
रास्ते में कोई इन्हे रोके न और वापस न भेजे इसलिए लोग अब देर रात चुपके से शहर से निकल रहे हैं।
मुंबई नाशिक हाईवे पर खड़े पुलिस वाले की नजर से बचने के लिए यह लोग जंगल और ग्रामीण पगडंडी का सहारा ले रहे हैं।
इन मजदूरों की सुने तो इनका कहना है कि हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है, पैसे खत्म हो चुके हैं।
जिस कारखाने में काम करते थे उस कारखाने का मालिक लाकडाऊन के बाद से कारखाने में आना बंद कर दिए है।
और फोन भी नहीं उठा रहे हैं, जबकि हमारी मजदूरी बाकी है।
मुंबई नाशिक हाइवे पर लोग पैदल, साईकिल से और तीन पहिया वाली ट्राली लेकर भी गांव जाते देखे जा सकते हैं।
इनके साथ महिला और छोटे छोटे बच्चे भी है, इनके गांव जाने के पर्दे के पीछे की एक सच्चाई यह भी है कि एक छोटे से पावरलूम कारखाने मे कम से कम आठ से दस मजदूर काम करते हैं।
भिवंडी के 90% कारखाने के मालिक ऐसे है जिनके पास 15 से 20 मजदूर तो काम करते ही है इन्हे दो टाईम बैठाकर खिलाना कारखाना मालिको को भारी पड़ रहा है।
इसलिए कारखाना मालिक खुलकर तो नही बोल रहे है लेकिन मजदूर के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे है की वह गांव भाग जाये।
अधिकांश कारखाने के मालिक तो लाकडाऊन के बाद मजदूर को खाना देने की बात तो दूर मिलने तक नही आए।
और वह मजदूर कम्युनिटी किचन या समाजसेवी संगठन द्वारा दिए जा रहे भोजन पर ही अभी तक निर्भर है।
ब्यूरो रिपोर्ट मुस्तकीम खान भिवंडी।