ठाणे भिवंडी। कसारा घाटी में फंसें मजदूरों के लिए देवदूत बनी पुलिस।
पैदल जंगलों के रास्ते गांव जाते समय 3 मजदूर भटक गए थे रास्ता।
मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने मजदूरों का पता लगाया।
1600 फीट गहरी खाई में आठ घंटे की खोजबीन के बाद मजदूरों को निकाला बाहर।
भिवंडी। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के कारण भय, भूख से परेशान भिवंडी के चार मजदूर उस समय मुसीबत में फंस गए जब वे पैदल अपने मूलगांव जाते समय कसारा घाटी के रास्ता में भटककर 16 किमी जंगल में चले गए।हालांकि मजदूरों ने होशियारी दिखाते हुए अपनी गुमशुदी की जानकारी मोबाइल से सौ नम्बर पर डायल करके पुलिस को देने के साथ मदद की गुहार लगाई।
देवदूत बनकर पुलिस कसारा घाटी के जंगल से आठ घंटे तक मेहनत कर चारों मजदूरों को बहादुरी से खोज कर 1600 फिट गहरी खाई, जंगल से बाहर निकाल कर चारों मजदूरों की जान बचाई।
जिसके बाद निराश हुए मजदूर इसे पुनर्जन्म मान कर पुलिस का मदद के लिए आभार माना।
गौरतलब है कि कोरोना के कारण हुए लाकडाउन से सभी उद्योग, दुकान, कंपनियां, गोदाम सहित सारे काम धंधे फिलहाल बंद है। जिसके कारण बेरोजगार, असहाय, लाचार, भूख, भय से परेशान मजदूर भिवंडी से अब शहर तथा ग्रामीण परिसर से पैदल ही अपने मूल गांव उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में जाने के लिए जाने लगे हैं।
इसी तरह भिवंडी के वडपागांव स्थित गोदाम में काम करने वाले नरेंद्र चौधरी, भूपाल निसार, राजेश कोल और फूलचंद रावत को गोदाम प्रबंधक ने तालाबंदी होने के कारण गोदाम से बाहर निकाल दिया। जिसके कारण भूख, लाचारी से बेहाल चारों मजदूर पैदल ही अपने गांव उत्तरप्रदेश जाने के लिए पुलिस के डर से जंगलों के रास्ते निकल पड़े।
घाटी में रास्ता भटक गए मजदूर। चारों मजदूरों ने मुंबई-नासिक राजमार्ग पर स्थित चिंतामनवाड़ी के पहाड़ की घाटी से गुज़रने का फैसला किया। क्योकि लतीफ़वाड़ी और कसारा घाट पर पुलिस चौकियाँ हैं। जंगल के रास्ते लगभग 13 किलोमीटर पैदल चलने के बाद गुरुवार दोपहर 3 बजे ऊंट घाटी के जंगल में मजदूर रास्ता न मिलने से भटक गए और 1600 फीट गहरी घाटी में फंस गए। जिसके बाद मजदूरों ने समझदारी दिखाते हुए जान बचाने के लिए 100 नंबर डायल कर प्रशासन से मदद मांगी।
जिसके बाद 11 बजे ही तत्काल कसारा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी दत्तू भोये, पीएसआई महाले, खतीब, पुलिस कर्मियों और आपदा प्रबंधन टीम और शाहपुर व्हाट्सएप समूह के सदस्यों ने विभिन्न पहाड़ियों और क्षेत्रों की खोज करना शुरू कर दी।लेकिन मजदूरों का कोई पता नहीं लग रहा था। जिसके बाद पुलिस ने मजदूरों का मोबाइल फोन को ट्रैक कर लोकेशन का पता लगाया।
लोकेशन पता लगते ही घाटी के घाटदेवी मंदिर के सामने एक टीले पर फंसे चारों मजदूरों को जंगल से सकुशल बाहर निकलकर उनकी जान बचाई।
पुलिस के अनुसार कसारा घाट, घाटदेवी मंदिर के सामने एक पहाड़ी से घाटी में मोबाइल प्रकाश दिखाई दे रही थी।जिसके बाद आपदा प्रबंधन टीम के सदस्य रामदास राठौड़ और लक्ष्मण वाघ, सवरवाड़ी कसारा खुर्द से नीचे उतरे और कसारा घाट घाटदेवी मंदिर के कुछ ग्रामीण बचाव में आए।
लगभग 8 घंटे कड़ी मशक्कत के बाद मजदूरों को पुलिस जांबाज कर्मियों ने 1600 फीट गहरी खाई से बाहर निकाला। इस कार्यवाही में आपदा प्रबंधन टीम के शाम धुमाल, दत्ता वाताडे, अक्षय राठौड़, प्रथमेश पुरोहित, रवि देहाडे, बबन जाधव, स्वप्निल कलंत्री, मयूर गुप्ता सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद था।
ब्यूरो रिपोर्ट मुस्तकीम खान भिवंडी।