शहर में मजदूरों को भोजन मुहैया कराने वाली संस्थाएं और एनजीओ चढ़ी मनपा के भ्रष्टाचार की भेंट।

शहर में मजदूरों को भोजन मुहैया कराने वाली संस्थाएं और एनजीओ चढ़ी मनपा के भ्रष्टाचार की भेंट।

ठाणे भिवंडी। भिवंडी मनपा का कम्युनिटी किचन से 74000 खाने के पैकेट वितरित करने का दावा झूठा।

कम्युनिटी किचन के नाम पर जारी भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग।

भिवंडी शहर में मजदूरों, पावरलूम कारीगर, असहाय और जरूरतमंद लोगों को सरकार के आदेश पर मनपा प्रशासन को कम्युनिटी किचन के माध्यम से खाना मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई थी जो पहले दिन से ही विवादों का शिकार हो गए और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रही है। ऐसे में अब भिवंडी मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर के दिए गए बयान से मनपा प्रशासन बड़े विवादों में घिरती नजर आ रही है। जिस पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए कांग्रेस पार्टी के महासचिव तारिक यूनुस फारूकी ने मनपा आयुक्त प्रवीण अष्टिकर के बयान को पूरी तरह से भ्रामक बताते हुए कहा है की आयुक्त का ये बयान जनता और सरकार को गुमराह करने वाला है। महासचिव तारिक फारूकी ने इलजाम लगाते हुए कहा कि मनपा आयुक्त के मुताबिक जिस दिन से लॉकडाउन शुरू हुआ तब से भिवंडी मनपा विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से मजदूरों को खाना मुहैया करा रही है। जबकि यह बात पूरी तरह से झूठी और बेबुनियाद है। लॉकडाउन शुरू होते ही शहर की विभिन्न संस्थाएं और एनजीओ मजदूरों को खाना खिलाने के लिए आगे आई थी और 14 अप्रैल तक लगातार मजदूरों को खाना खिलाती रही। जबकि भिवंडी मनपा प्रशासन 14 अप्रैल के बाद लाखडाउन के दूसरे चरण में कुंभकरण की नींद से जागने के बाद कम्युनिटी किचन शुरू करने का ऐलान किया और मजदूरों को खाना मुहैया करने वाली संस्थाओं से लिस्ट लेकर इनके किचन पर अपना पोस्टर और बैनर लगाकर उस पर कब्जा जमाने का प्रयास तो किया लेकिन इन संस्थाओं और मजदूरों को खाना या खाद सामग्री मुहैया कराने की जहमत नहीं उठाई । जिसे लेकर संस्थाओं और मजदूरों में घोर नाराजगी व्याप्त थी और विभागीय अधिकारी द्वारा मनपा को कारण बताओ नोटिस जारी कर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई थी। बावजूद मनपा अपनी हरकत से बाज नहीं आई और शहर में मजदूरों को खाना मुहैया करने वाली संस्थाओं और एनजीओ को प्रशासन की मदद ना मिलने के कारण खाना खिलाना बंद कर दिया। कांग्रेस महासचिव तारीख यूनुस फारूकी ने मनपा आयुक्त के इस इस दावे की ” मनपा प्रशासन प्रतिदिन 74 हजार 502 मजदूरों को खाना मुहैया करा रही है ” की धज्जियां उड़ाते हुए बताया कि मनपा आयुक्त ना सिर्फ सरकार को गुमराह कर रहे हैं बल्कि वो मजदूरों को भी धोखा दे रहे हैं। महासचिव फारुकी ने कहा के मनपा प्रशासन पांच प्रभाग के माध्यम से सिर्फ नगरसेवकों को ही खाने का पैकेट वितरित करने के लिए दे रही है। जिसमें हर एक नगरसेवक को 250 से 300 पैकेट दिया जा रहा है इस हिसाब से 90 नगरसेवकों को 300 पैकेट के हिसाब से कुल 27000 खाने के पैकेट दिए जा रहे हैं तो 74 हजार 502 में से बाकी के 27 हजार 502 खाने के पैकेट कहांं जा रहे हैं ?  महासचिव फारूकी ने मनपा आयुक्त आष्टीकर के बयान पर कहा कि कम्युनिटी किचन के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है जो मनपाा आयुक्त की बातों से स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि शहर की संस्थाओंं से हासिल की गई लिस्ट की बुनियाद पर सरकार को गुमराह किया जा रहा है और ज़रूरतमंदों को खाना ना मिलने के कारण भुखमरी और बेरोजगारी से परेशान मजदूर बड़ी संख्या में शहर से पलायन कर रहेे हैं। वहींं दूसरी तरफ शहर की संस्थाओं को सरकार द्वारा मदद ना मिलने के कारण उन्होंने अपना किचन बंद करना शुरू कर दिया है। महासचिव तारिक फारूकी ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे , कांग्रेस महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात , मुंबई पालकमंत्री असलम शेख से इस पूरेे मामले की उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई करनेेे की मांग करते हुए आह्वान किया है कि पावरलूम उद्योग और इस से संबंधित सभी व्यवसायों को शुरू किया जाए।  उन्होंने कहा हैं कि पावर लूम कारखानों के शुरू होने से ना सिर्फ सामाजिक दूरी के नियमों का पालन होगा बल्कि बेरोजगारी के कारण प्रवास कर रहे श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही प्रशासन द्वारा श्रमिकों को मुफ्त मास्क प्रदान किया जाना चाहिए और स्लम क्षेत्रों में कीटनाशक और धुए का छिड़काव करते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट मुस्तकीम खान भिवंडी।

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