राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर भाजपा ने
प्रंजातंत्र को आघात पहुंचाया: अभय दुबे
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भोपाल: मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने बताया है कि भाजपा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में बहुमत न होने के चलते चुनाव से भाग खड़ी हुई। भाजपा जानती थी कि उसके पास बहुमत नहीं है, इसलिए उसने सदन में चुनाव कराये जाने की मांग तक नहीं की। कांगे्रस के प्रत्याशी श्री एन.पी. प्रजापति को 120 मतों के साथ जीत हासिल हुई। कांगे्रस पार्टी ने स्वस्थ परंपरा का निर्वहन करते हुए भाजपा के सदन से भाग खड़े होने के बावजूद चुनाव कराया जो स्वस्थ प्रजातंत्रीय परंपराओं का निर्वहन है।
राज्यपाल महोदया के अभिभाषण का बहिष्कार कर भाजपा ने प्रजातंत्र को ठेस पहुंचायी,आदिवासी वर्ग का किया अपमान:-आज भारतीय जनता पार्टी ने राज्यपाल महोदया के अभिभाषण का बहिष्कार कर मध्यप्रदेश के स्थापित प्रजातांत्रिक मूल्यों को गंभीर आघात पहुंचाया है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने जहां नियुक्ति सुनिश्चित थी, वहां नेता प्रतिपक्ष के लिए गोपाल भार्गव को अवसर प्रदान किया, वहीं यह शर्मसार कर देने वाली बात है कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए जहां भाजपा की हार तय थी, वहां आदिवासी समुदाय से आने वाले एक विधायक को उम्मीदवार बनाकर समूचे आदिवासी समुदाय को अपमानित किया।
हार का पूर्वाभास होने से भाग खड़ी हुई भाजपा:-मध्यप्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के अध्याय 3 नियम 7 में अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। भाजपा असंवैधानिक तरीके से यह मांग करती रही कि भाजपा के उम्मीदवार का नाम भी प्रत्याशी के क्रम में लिया जाये। जबकि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कभी भी दो प्रत्याशियों के प्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के तहत नहीं होता। इसमें क्रमवार प्रत्याशियों को लिया जाता है और डिवीजन मांगने पर (चुुनाव की मांग करने पर) एक ही उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में मतदाता कराया जाता है। अगर उस उम्मीदवार को पर्याप्त मत नहीं मिलते हैं तब ही दूसरे उम्मीदवार के चुनाव की वोटिंग करायी जाती है और एक प्रत्याशी के जीतने पर स्वतः ही शेष प्रत्याशियों की उम्मीदवारी निरस्त हो जाती है। भाजपा ने आज जो कुछ सदन में किया वह इस बात को परिलक्षित करता है कि भाजपा अभी भी अपनी हार की निराशा से बाहर नहीं आ पायी है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की सकारात्मक भूमिका से प्रजातंत्र अभिभूत हुआ:-मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सदन मे इस बात की घोषणा की कि भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा मान्य परंपरा न होते हुए भी हम घोषणा करने के लिए तैयार हैं, वहीं संस्कृति कार्य मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि यदि आप मत विभाजन करना चाहते हैं तो भी कांगे्रस पार्टी तत्पर और तैयार है। क्योंकि कांगे्रस के पास सदन में स्पष्ट बहुमत था। इस बात का आभास होते ही भारतीय जनता पार्टी ने एक स्वांग रचा और नियोजित रूप से सदन का बहिष्कार किया। ताकि सामने खड़ी हार की शर्मिंदगी से बचा जा सके।
सदन को न चलने देना भाजपा की प्रजातंत्रीय कुसंस्कृति:- श्री दुबे ने कहा कि बुनियादी रूप से भाजपा को 15 साल की विरासत में जो मिला है, वह ही उन्होंने आज परोसने की कोशिश की है। बीते15 सालों में भाजपा ने कभी भी सदन को सुचारू नहीं चलने दिया, ताकि वे अपनी नाकामियों पर पर्दा डाल सकें। आज भी उन्होंने वहीं किया जिसके वे अभ्यस्त हैं।
ज्ञातव्य है कि 2003 से 2008 तक 15 दिसम्बर 03 से 9 जुलाई 2008 तक 274 दिवस की विधानसभा की समयावधि में सिर्फ 158 बैठकों में सिर्फ 687 घंटे अर्थात दिनों के आधार पर देखा जाये तो मात्र 28 दिन विधानसभा में कार्य किया।इसी प्रकार 05 जनवरी, 2009 से 11 जुलाई 2013 तक 304 दिनों की बैठकों में मात्र 807 घंटे अर्थात 33 दिन और जनवरी 2014 से 29 जून 2018 तक कार्यदिवस का मात्र 30 प्रतिशत कार्य किया अर्थात भाजपा ने अर्कमण्यता की अपनी संस्कृति को बरकरार रखते हुए आज भी वही आचरण किया है। श्री दुबे ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने आज यह बात स्पष्ट कर दी है कि कांगे्रस पार्टी सकारात्मक रूप से चाहती है कि विधानसभा में सुनिश्चित कार्य दिवस पर पूरा कार्य हो और प्रतिपक्ष को भी चाहिए कि वे अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करें। प्रतिपक्ष को जहां समालोचना करना है वहां जरा भी न हिचकिचाऐ मगर मुद्दाविहीन होकर प्रदेश के विकास में बाधा न पहुंचाये।