मदर्स डे स्पेशल। माँ संघर्ष में राह दिखाती है, अधिकारों के लिए लड़कर जीतना सिखाती है माँ।
छतरपुर से अवनीश चौबे की रिपोर्ट।
बताया जाता है कि अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं। उनकी ममता के कारण न तो उन्होंने कभी शादी की और न कोई बच्चा हुआ।
अपनी मां की मौत होने के बाद उन्हें प्यार जताने के लिए इस दिन को मनाना शुरू कर दिया। जिसके बाद अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने 9 मई 1914 को इसे एक कानून के तौर पर पास किया।
इस कानून में लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother’s Day) मनाया जाएगा। उसी के बाद से इसे व्यापक तौर पर पूरे विश्व में मनाया जाता है।
“मां” के कई रूप हैं, वह स्नेह, प्रेम, आशीष की प्रतिमूर्ति है, वह विश्वास, आस्था का पुंज है। वह शुभकर्मों की प्रेरणा है। वह शक्ति का स्रोत है। वह सहनशीलता और त्याग की प्रतिमा है। वह स्वयं में सम्पूर्ण संसार है।
आज का दिन हम अपनी उन माताओं को समर्पित करते हैं जिन्होंने इस महामारी में हमें अपने आंचल की छांव में छुपा कर रखा है।
जैसा कि ज्ञात हो आज दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रसार हो चुका है। ऐसे में कुछ महिलाएं घरों में मां, बहन, दादी, नानी, वाइफ, मौसी बनकर हमारी सेवा कर रहीं हैं तो कुछ नर्स, डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सैन्यकर्मी व अन्य बनकर देश की सेवा में जुटी हैं। जो अपने करुणा भरे आंचल में परिवार के साथ देश को भी लेकर चल रही हैं वही मां का स्वरूप हैं। इन कोरोना वारियर्स रूपी मां को समर्पित आज का दिन।