बैंकों में भी उड़ रही सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की धज्जियां। जनधन खाते से पैसे निकालने की लगी भारी भीड़।
ब्यूरो रिपोर्ट मुस्तकीम खान भिवंडी।
ठाणे भिवंडी। वैश्विक महामारी से हुए लाक डाउन से परेशान गरीब लोगों की मदद हेतु जनधन खातों में अप्रैल माह से सरकार द्वारा 500 रुपया डाला जा रहा है।जनधन खाते से पैसा निकालने हेतु शहर स्थित तमाम बैंकों के बाहर ग्राहकों की भारी भीड़ दिखाई पड़ रही है। सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के अनुपालन हेतु तमाम बैंकों में स्टाफ करीब 50 प्रतिशत होने से कार्य की गति बेहद धीमी होने की वजह से बैंक कर्मियों को ग्राहकों की भीड़ को नियंत्रित करने में पसीने छूट रहे हैं।
वैश्विक महामारी से हुए लाक डाउन से उपजे गंभीर संकट से परेशान गरीब परिवारों की सहायता हेतु सरकार द्वारा जनधन खातों में 500 रुपये की राशि अप्रैल-मई- जून अर्थात 3 माह तक डाली जानी है। जनधन खाते में पैसा आते ही गरीबों की फौज बैंकों के बाहर सुबह से ही लंबी कतार लग जाती है।सरकारी निर्देश की वजह से बैंक स्टाफ कम होने से ग्राहकों को जल्द सेवा दिया जाना बैंक कर्मियों के लिए बेहद कठिन साबित हो रहा है।
सरकार द्वारा जनधन खाता में भेजा गया 500 रुपया निकालने हेतु एसबीआई, पंजाब नेशनल, बड़ौदा बैंक, इंडियन बैंक, बैंक आफ इंडिया, विजया बैंक आदि बैंकों में ग्राहकों की लंबी लाइन लग रही है।बैंकों से पैसा निकालने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से ग्राहकों की भारी भीड़ सुबह से ही बैंक के बाहर जमा हो रही है जो बैंक बंद होने की अवधि तक जमी रहती है। बैंकों के बाहर धूप में खड़े कतारबद्ध लोग सोशल डिस्टेसिंग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बैकों के बाहर कतार में खड़े कई ग्राहकों ने बैंकिंग व्यवस्था पर असंतोष जताते हुए कहा कि,लॉकडाउन से रोजगार बंद होने से भूखे मरने की नौबत आई है बावजूद सरकार द्वारा मदद हेतु दिया गया पैसा भी बैंक आसानी से नहीं दे रही है।
एक गरीब महिला ग्राहक ने बेबसी का रोना रोते हुए कहा कि, मई माह की चिलचिलाती धूप में बैंक के बाहर कतार में घंटों खड़ा होना मजबूरी नहीं तो और क्या है ? बैंकों द्वारा घंटों चिलचिलाती धूप में खड़ा कर गरीबों का मजाक उड़ाया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक बैंक अधिकारी ने बताया कि, लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के अनुपालन के मद्देनजर बैंक में स्टाफ की कमी है। सरकार द्वारा जनधन खाते में 500 रुपया डाल कर बैंक कर्मियों की मुसीबत बढ़ा दी गई है। बैंकों को नित्य कार्य के अलावा जनधन खातों से पैसा निकालने की भीड़ को संभालना मुसीबत बन चुकी है।