छः माह की गर्भवती को हमदर्द ग्रुप के प्रयासों से पहुँचाया घर गया।

छः माह की गर्भवती को हमदर्द ग्रुप के प्रयासों से पहुँचाया घर गया।

ब्यूरो चीफ अफसर खान की खबर।

मुलताई। मुलताई में जागरूकता का परिचय देते हुए एक बार फिर हमदर्द ग्रुप की मेहनत रंग लाई है। इस बार एक छः माह की गर्भवती आदिवासी लड़की, जो करीब 8 दिन पहले अकेली सरकारी अस्पताल मुलताई आई, जो आज हमदर्द ग्रुप के प्रयासों से वापस अपने घर पहुँच पाई।
प्राप्त जानकारी अनुसार मुलताई अस्पताल में करीब 8 दिन पहले मनीराम इवनाते की बेटी छः माह की गर्भवती लड़की के पहुँचने की खबर दो दिन पहले ही हमदर्द ग्रुप के पाशा खान और एडवोकेट कुलदीप पहाड़े को मिली।

उन्होंने तत्काल जानकारी जुटाते हुए पता किया कि यह युवती छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव ब्लाक अंतर्गत नौलाखापा पंचायत की रहने वाली है, उसके गांव के सचिव से बात करके उन्होंने उसके घर जानकारी भिजवाई औऱ घर वालों से इस लड़की की बात करवाई।

आज सुबह हमदर्द ग्रुप के युवाओं ने पूरी जानकारी मुलताई एसडीओपी नम्रता सोंधिया को दी। जिस पर उन्होंने तत्काल बोरदेही थाना प्रभारी अनिल कुमार पुरोहित को युवती की सूचना दी एवं उसको उसके घर पहुंचाने की व्यवस्था बनाने हेतु आदेशित किया गया।

आज शाम करीब 4:30 बजे बोरदेही थाना प्रभारी ने खेडली बाज़ार के अतुल पारखे की बोलेरो गाड़ी और सैनिक तारेंद्र रघुवंशी को मुलताई अस्पताल भेजा। यहाँ से युवती को लेकर गाड़ी उसके घर के लिए रवाना हुई। यह युवती 8 दिनों में अस्पताल स्टाफ से इतनी घुल मिल गयी थी कि जाते जाते सभी की आँखे नम कर गयी।वापस जाने से पहले उसने 8 दिनों तक उसका ख्याल रखने वाली सफाईकर्मी दीपमाला वानखेड़े, सुनीता डोंगरडीए, सिंधु बाई, सविता बाई, विमला देवहारे, गार्ड सतीश उकण्डे, कमलेश बारंगे और हमदर्द ग्रुप के पाशा खान, कुलदीप पहाड़े का आभार व्यक्त किया।

मुलताई अस्पताल बीएमओ डॉ उदय प्रताप तोमर ने बताया कि 6 मई को दिपाली 108 के माध्यम से अस्पताल आई। जिसकी तहरीर 7 मई को मुलताई पुलिस थाने में दे दी गयी थी। 10 मई तक इंतजार करने के बाद हमने अस्पताल के वाहन से उस लड़की को उसके घर भेजने की व्यवस्था बनाई लेकिन उसे अकेले भेजना उचित न समझते हुए मुलताई पुलिस थाना प्रभारी को पत्र लिख कर एक पुलिसकर्मी को उस लड़की के साथ जाने के लिए उपलब्ध कराने की मांग की थी लेकिन पुलिस थाने में पत्र लेने से ही मना कर दिया गया। इस कारण से उस युवती को यही रहना पड़ा।

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