लंका थाने की घोर लापरवाही सामने आई, परिजन आत्मदाह करने को मजबूर।

लंका थाने की घोर लापरवाही सामने आई, परिजन आत्मदाह करने को मजबूर।

वाराणसी से संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट।

65 दिनों से लापता युवक का पता लगाने में नाकाम साबित हुई लंका पुलिस।

थाने का चक्कर लगा रहा परिवार सीएम योगी, प्रधानमंत्री तक लगा चुके हैं गुहार।

वाराणसी। वाराणासी जनपद का बहुचर्चित लंका थाना क्षेत्र से गायब मिर्जापुर जनपद के अदलहाट थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर निवासी मोबाइल व्यवसायी का पता लगाने में नाकाम रही वाराणसी पुलिस।

परिजनों को बार बार थाने का चक्कर लगवा रही है वाराणसी पुलिस। जिससे व्यथित होकर पिता ने आज शनिवार को पुलिस महानिदेशक वाराणासी जोन वाराणासी को मिलने आए परिवारजनों ने कहा कि पूर्व भी एडीजी से हम लोगों ने मिलकर प्रार्थना पत्र दिया मगर काफी लंबे समय बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।

यदि आज मेरी शिकायतों को सुनकर कार्यवाही कुछ नहीं होती है तो हम यहीं आत्मदाह कर लेंगे साथ ही परिजनों ने सीओ, थाना प्रभारी, चौकी इंचार्ज की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है और कहा है कि अगर कोई अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी इन तीनों लोगों की होगी।

आरोप है कि अपहरण की घटना को पुलिस ने दबाव बनाकर गुमशुदगी लिखवाया लेकिन थकहार चुकी पुलिस अभी तक क्राइम विभाग को फाइल सौपने से कतरा रही है पुलिस वाराणसी के लंका थाने की पुलिस।

आपको बता दें कि अदलहाट थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर गांव निवासी मुकेश मौर्या पुत्र कृष्णानंद मौर्य 17 मार्च को
मोबाइल संबंधित सामान के खरीद-फरोख्त के लिए नित्य की भांति वह वाराणसी मंडी गया हुआ था और कुछ सामान, ट्रांसपोर्ट से बुक कराने के बाद देर शाम अपनी पल्सर मोटर साइकिल से कुछ सामान लेकर घर के लिए वापस चला किंतु घर नहीं पहुंचा लौटा। जिससे परिजन इधर-उधर रिश्तेदारी तथा मंडी के व्यवसायियों के यहां पूछताछ करने लगे तो पता चला कि मुकेश सामान खरीद कर घर के लिए चला गया।

पिता कृष्णानंद उर्फ़ महंगू ने वाराणसी के लंका थाने में अपने पुत्र के अपहरण की एफआईआर दर्ज कराने पहुँचे लेकिन लंका थाना प्रभारी भरत भूषण तिवारी ने जबरन परिजनों पर दबाव बनाकर गुमशुदगी दर्ज कराया।

परीजन लगातार थाने, सीओ के ऑफिस का चक्कर लगाते लगाते थक गये लेकिन पुलिस परिजनों को गुमराह करती रही है।

अभी तक मामले का खुलासा करने में नाकाम रही पुलिस। वहीं पुलिस क्राइम विभाग को फाइल ही नहीं सौंपी है।
पिता कृष्ण चन्द्र मौर्य ने बताया कि एक दिन पूर्व सीओ भेलूपुर ने कहा कि जब तक उच्च अधिकारी फाइल को नहीं मांगेंगे हम क्राइम विभाग को जांच के लिए नहीं भेजेंगे।आखिर 65 दिन बाद भी पुलिस मामले का खुलासा के लिए क्राइम विभाग को क्यों नहीं दे रही है। पिता ने पुलिस उप महानिदेशक वाराणासी जोन वाराणासी को लिखे पत्र में सीओ भेलूपुर, थाना प्रभारी लंका, चौकी इंचार्ज डाफी रमना की भूमिका को संदिग्ध जाहिर की है। और लिखा है कि अगर कोई अनहोनी होती है तो जिमेदारी इन तीनों की होगी।

लंका में मिला था अंतिम लोकेशन।

18 मार्च को जब परिजनों ने लंका पेट्रोल पम्प के सामने बंगाल रोल कार्नर में लगे सीसीटीवी फुटेज को देखा तो पाया कि मुकेश रात के करीब 9 बजे से 10 बजे तक वहां पर था जहां दो संदिग्ध ब्यक्ति भी दिखलाई दे रहे थे।

दो संदिग्धों को पुलिस ने छोड़ा।

अब सवाल यह उठता है कि मुकेश की बाइक इन चोरों के हाथ लगी लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं।
23 मार्च को मुकेश की पल्सर बाइक को बेचते हुए अदलहाट पुलिस ने पौनी बैरियर से दो युवकों को दबोच लिया था उनसे हिरासत में लेकर वाराणासी लंका पुलिस को पूछताछ में पता हुआ कि इन लोगों को 18 मार्च को बाइक वाराणासी के हाइवे मार्ग के नीचे लौटू बीर बाबा सिर को जाने वाले मार्ग पर सुबह मिला था जिसे पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया।
पिता कृष्णानंद उर्फ महंगूराम का आरोप है कि लंका पुलिस अभी तक हमें गुमराह करती रही है मुझसे प्रेम प्रपंच का मामला बताकर पल्ला झाड़ती रही है।

परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। मां अपने कलेजे के टुकड़े को देखना चाहतीं हैं, लेकिन अभी तक वाराणसी पुलिस के हाथ खाली है, मां की आंखों में केवल आंसू ही हैं, पिता का सवाल और भाई का गुहार हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र के कानून व्यवस्था इस तरह है एक मां को अपने बेटे के कलेजे के टुकड़े को वाराणसी पुलिस कैसे ढूंढ निकालेगी। अपराधियों तक कब पहुंचेगी वाराणसी पुलिस सबसे बड़ा सवाल।

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