बागी कलम का इतिहास आओ हम दोहराएं। न फूल से, ना गुलाब से। है कहानी, कलम दवात की।। कितना भी लिखो यह दिन है। एक पत्रकार की, आन की।।
कोरिया छत्तीसगढ़ से अतुल कुमार शुक्ला।
हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युगबोध और अपने महत दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे। कदाचित इसलिए विदेशी सरकार की दमन-नीति का उन्हें शिकार होना पड़ा था। उसके नृशंस व्यवहार की यातना झेलनी पड़ी थी। उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्टा और हिन्दी-प्रचार आन्दोलन अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भयंकर कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कितना तेज और पुष्ट था इसका साक्ष्य ‘भारतमित्र’ सन् 1878 ई.में ‘सार सुधानिधि’ सन् 1879 ई. और ‘उचित वक्ता’ सन् 1880 ई. के जीर्ण पृष्ठों पर मुखर है।
वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है।
पहले देश-विदेश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था लेकिन आज हिन्दी भाषा का झण्डा चहुंदिश लहरा रहा है। तीस मई को ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
सभी पत्रकार साथियों को 30 मई पत्रकारिता दिवस की मिज़सा इंडिया मीडिया परिवार की ओर से कोटि कोटि शुभकामनाएं।