पान मसाले की कालाबाजारी पर प्रशासन क्यों मोन?
जोबट से चयन खत्री की रिपोर्ट।
पान मसाले की कालाबाजारी पर प्रशासन क्यो मोन? पान मसाले की कालाबाजारी पर प्रशासन क्यो मोन?
जनता पुछ रही क्यो नही हुई अब तक बड़ी कार्यवाही
अलिराजपुर जिले में पिछले दो महीने से जारी लॉकडाउन के पहले दिन से पान मसाले के व्यापार में कालाबाजारी चरम पर है। शुरूआत में दो से पांच रुपए की वृद्धि के साथ शुरू हुई मुनाफाखोरी अब 15 से 20 रुपए की मार्जिन के साथ कालाबाजारी में तब्दील हो चुकी है।
जोबट शहर में लाॅकडाउन में पान दुकानों को खोलने की इजाजत तो दे दी गई है, लेकिन शर्त भी रखी गई है कि पान दुकान वाले पान मसाला या पान नहीं बेचेंगे।
इसी बात का फायदा उठाते हुए छोटे-छोटे दर्जनों कोचिए रोज जिले में झोले में माल भर-भरकर अलिराजपुर, जोबट, आजाद नगर, सोण्डवा लाते देखे जा सकते हैं।
यही कोचिए फिर शहर के पान ठेलों, किराना दुकानों में माल बेच रहे हैं। इन कोचियों ने शहर में पिछले दो महीने के भीतर करोड़ों का गुटखा-सिगरेट खपा दिया है।
अग्निचक्र लाइव न्यूज़ ने पान मसाले के नाम पर चल रहे कालाबाजारी की जब जमीनी पड़ताल की तो मालूम चला कि शहर कोचिए जहां ऊंचे दाम पर पान मसाला खपाकर लाखों कमा रहे हैं।
वहीं यहां के स्थानीय दुकानदारों को भारी नुकसान हो रहा है। कीमत ज्यादा होने से कई दुकानदारों ने तो अपनी दुकानें बंद रखना ही मुनासिब समझा। जब शराब बिक रही है तो पान मसाला क्यों नहीं? शहर के पान दुकान संचालकों ने कहा कि पूरे प्रदेश में जब
शराब बेचने की अनुमति सरकार दे सकती है तो आखिर पान मसाले पर रोक क्यों लगाई गई है? जबकि शराब से पूरे शहर में सामाजिक माहौल खराब होता है। छोटे दुकानदारों में सरकार के इस फैसले को लेकर असंतोष है। 5 का गुटखा 15 तो 5 का गुड़ाखू 60 में बिक रहा। पान मसाले के दाम तीन से 10 गुना तक बढ़ गए हैं।
5 रुपए का पान मसाला जहां 15 से 20 रुपए प्रति पाउच तक बिक रहा है। वहीं जो गुड़ाखू लॉकडाउन से पहले 5 से 10 रुपए में मिल रहा था, उसकी कीमत 60 से 100 रुपए प्रति डिब्बी तक पहुंच चुकी है। यही हाल सिगरेट का भी है। कीमतें बढ़ने से लोग हलाकान हैं।
प्रोडक्शन बंद तो सप्लाई कहां से हो रही। शहर में लॉकडाउन के दौरान पान मसाले की बड़ी खेप यहां पहुंच रही हैं। शहर के बड़े कोचियों का स्टाॅक खत्म हो चुका है और अब गुजरात से यहां माल पहुंच रहा है। बड़े पान मसाला उद्योगों में पिछले दो महीने से ताला लगा हुआ है।
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि इतना माल आ कहां से रहा है? क्योकि शहरों की सीमाओं को जिस तरीके से सील किया था उससे तो लगता है की परिन्दा भी पर नहीं मार सकता लेकिन पान मसाले के जरिये दुकान्दारों तक कैसे पहुंचे।
यह वरिष्ठ अधिकारीयों के लिए विचारणीय सवाल है
वहीं जनता पुछ रही है। अब तक क्यों नहीं हुई बड़ी कार्यवाही।