अग्निचक्र की ख़बर का हुआ असर। अन्तत: सत्य को मिला न्याय।

अग्निचक्र की ख़बर का हुआ असर। अन्तत: सत्य को मिला न्याय।

शहडोल संभागीय ब्यूरो मोहित तिवारी की रिपोर्ट।

डाइट के कर्मचारियों को मिला 4 माह बाद पगार।

The effect of the news of the Agnichakr. Finally truth got justice
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एक कहावत है कि सत्य परेशान हो सकता पर पराजित नहीं। यह कहावत उस समय सत्य साबित हुई जब इस वैश्विक महामारी के दौरान भी अपने कर्तव्य को पूर्ण लगन निष्ठा से डाइट एवं उससे जुड़े विभाग के कर्मचारी निर्वहित कर रहे थे। फिर भी उन्हें 4 माह से वेतन न मिलने का दर्द दिलों में रहा होगा। पर जब वेतन मिला तो उनकी खुशी आंखों से आंसू के रूप में दिखाई देने लगी और लोगों ने मिठाई बांट डाली।

शहडोल। स्थानीय जिला शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान डाईट के कर्मचारियों में उस समय ख़ुशी का माहौल निर्मित हो गया। जब चार माह से वेतन का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को वेतन भुगतान प्रक्रिया के शुरू होने का समाचार मिला।

इस संबंध में सक्षम अधिकारी आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र के विभागाध्यक्ष ने पत्र क्रमांक 679 दि 03 जून 2020 जारी कर प्रभारी प्राचार्य को आहरण संवितरण प्रभार सौंपने के निर्देश कर दिए और इसी आदेश की तामीली के लिए नियमानुसार कार्यवाही कर जिला प्रशासन द्वारा प्रभारी प्राचार्य आरके मंगलानी को पूर्व से प्राप्त वित्तीय अधिकार यथा स्थिति बरकरार रखते हुए नियमानुसार सौंप कर उन्हें प्राप्त आहरण संवितरण अधिकार हेतु अनुमति दे दी।

बताया जा रहा कि वेतन निकलने में देरी प्रभारी प्राचार्य को आहरण संवितरण अधिकार नियमानुसार पूर्व से प्राप्त होने पर भी प्रभार नहीं सौंपने के कारण रहा था। जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने पिटीशन 3379, 2020 पर स्थगन प्रदान कर यथा स्थिति का निर्णय दिया था।

कनिष्ठ को मिला गया था प्रभार:

जानकारी के मुताबिक उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को तत्कालीन कलेक्टर के 01 फरवरी को दिए गए आदेश पर नियमानुसार न होने पर भी और मध्यप्रदेश वित्तीय शक्ति पुस्तिका के तहत प्रदत्त नियमों की अवेहलना कर संस्थान में कनिष्ठ पद पर होते हुए भी जूनियर फतेह सिंह प्रभारी का प्रभारी बनाया जाना समझ से परे था। कुर्सी की चाह के कारण वे चर्चा में आ गये थे।

संभवत: इसी कारण निर्मित परिस्थिति के चलते संस्थान के कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा था।

नियमों  की व्याख्या:

इस पूरे मामले में शासन के दखल एवं कलेक्टर के नियमानुसार ट्रेजऱी अधिकारी से प्राप्त नियम एवं टीप को मद्देनजर रखते हुए मध्यप्रदेश वित्तीय शक्ति पुस्तिका के उल्लेखित नियम के अनुसार एवं शासन के आदेशों के अनुरूप आरण्के मंगलानी को समस्त आहरण संवितरण अधिकार की अनुमति प्रदान कर दी है।

वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू :

उच्च न्यायालय के स्थगन उपरांत यथास्थति अनुसार एवं राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देशानुसार हुई नियमानुसार प्रक्रिया से वेतन भुगतान की कार्यवाही प्रारम्भ हो गई है। जबकि अब जब सब सामान्य हो गया है तब भी कुछ अवांछित तत्व एवं उदासीन लोग अब भी डाइट के बारे में फैला रहे अर्नगल बातें कर भ्रमित कर रहे हैं।

कलेक्टर के आदेश की अनदेखी:

जानकारी के मुताबिक वरिष्ठता क्रम को दरकिनार कर और नियमों की अनदेखी करते हुए कनिष्ठ कर्मचारी श्री सेहरा कलेक्टर के आदेशों को नहीं मानना चाहते जिस कारण जिला प्रशासन की शाखाओं एवं इकाईओं पर सवाल उठा रहे हैं और मध्यप्रदेश सेवा आचरण नियम 1965 के सेक्शन 3 का उल्लंघन किये जा रहे हैं।

क्या दोषी को मिलेगी सजा:

नियमों की माने तो विगत दो वर्षों से डाइट प्राचार्य कार्यालय प्रमुख के प्रभार का वहन सक्षम अधिकारी राज्य शिक्षा केंद्र, विभागाध्यक्ष स्कूल शिक्षा विभाग प्रशासकीय विभाग भोपाल मध्यप्रदेश शासन के आदेश 07 जनवरी के अनुरूप एवं तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल के आदेश दिनांक 04 अप्रैल उपरांत पदस्थ वरिष्ठ एवं विज्ञप्त राजपत्रित अधिकारी वरिष्ठ व्याख्याता आरके मंगलानी द्वारा किया जा रहा है। चूँकि शासन द्वारा डाइट प्राचार्य के प्रभारी पद को मध्यप्रदेश वित्तीय शक्ति पुस्तिका के सेक्शन.1 के उल्लेखित अनुक्रम के अनुसार आहरण संवितरण अधिकारी पूर्व में घोषित किया जा चुका है और प्राचार्य का प्रभार ग्रहण करते ही आहरण संवितरण अधिकार स्वत: ही प्रत्यावर्तित हो जाते हैं। ऐसे में समस्त अधिकार प्राचार्य के पद में प्राप्त, निहित हैं। जोकि प्राचार्य का प्रभार ग्रहण करते ही आरके मंगलानी को प्राप्त हो गए थे और वर्तमान में भी प्राप्त हैं।

इस बात का उल्लेख राज्य शिक्षा केंद्र मध्यप्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद् स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल मध्यप्रदेश के आदेश क्रमांक 16114 दिनांक 08 जुलाई 1993 में भी स्पष्ट रूप से किया गया है।

जिस कारण से तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल के आदेश में किसी अवधि का उल्लेख भी नहीं था एवं इसी कारण से माननीय उच्च न्यायालय ने कलेक्टर नरेश पाल के आदेश दिनांक 04 अप्रैल 2018 को सही मान कर 01 फरवरी के नियम विरुद्ध आदेश पर 10 फरवरी को स्थगन आदेश दिया

राज्य शिक्षा केंद्र को नहीं थी खबर:

01 फरवरी  को न जाने कौन सी आपात की स्थिति थी कि शासन स्कूल शिक्षा विभाग एवं राज्य शिक्षा केंद्र, एससीईआरटी के नियमों के विपरीत जाकर मध्यप्रदेश वित्तीय शक्ति पुस्तिका के नियमों का उल्लंघन करके जूनियर को प्राचार्य का प्रभार मिला जबकि सक्षम अधिकारी आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र, विभागाध्यक्ष स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल के आदेश पत्रांक,101,02,2003,82 दिनांक.07 जनवरी 2004 के अनुसार प्राचार्य के पदीय दायित्वों का निर्वहन संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किये जाने का निर्देश है परन्तु सूत्रों की माने तो उस दिन प्रभारी प्राचार्य बनने की जल्दी में संस्थान में वरिष्ठता क्रम में तीसरे नंबर पर होते हुए भी फतेह सिंह सेहरा ने नियम विरुद्ध तरीके से शिक्षा विभाग की संरचना की गलत व्याख्या की और खुद को सीनियर बताकर स्थापना को अँधेरे में रख कर आदेश टाइप करवाया जबकि नस्ती ओआईसी को देखने के लिए थी जिसे भ्रमित कर एवं कलेक्टर के दस्तखत करवा कर जल्दबाजी में आदेश करवाए गए और नस्ती ओआईसी को मार्क करवा दीए जबकि इन नियम विरुद्ध कारनामों में कोषालय से भी टीप नहीं ली गई और पूर्व की तरह आहरण संवितरण भी मध्यप्रदेश वित्तीय शक्ति पुस्तिका के नियमों का उल्लंघन करवाकर छ: माह की गलत व्याख्या करके फतेह सेहरा ने प्राप्त कर लिए जबकि डाइट शहडोल संस्थान काफी पुराना है एवं काफी वर्षों से सेवा में है जिसके किसी को भी आहरण संवितरण अधिकारी घोषित करने की जरुरत नहीं है ऐसा किया जाना नियम विरुद्ध था।

तो क्या दोषी को मिलेगी सजा:

लोगों का कहना है कि जब सारी स्थिति स्पष्ट थी फिर भी एक जूनियर अधिकारी द्वारा हालातों को दरकिनार करते हुए अपने आप को अधिकारी बनने का अधिकार प्राप्त कर लिया जिसके चलते डाइट के कर्मचारियों को 04 माह तक वेतन भुगतान नहीं किया जा सका। इसका जिम्मेदार कौन है, क्या जांच के बाद उसको सजा नहीं मिलनी चाहिए या मिलना चाहिए अभयदान?

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