अनमोल ज़िन्दगी के लगे मोल। 

अनमोल ज़िन्दगी के लगे मोल। 

हमारे अभिभावक भैयालाल तिवारी की कलम से।

The priceless value of life.
The priceless value of life.

यह पहला कोई वाक्या नहीं है जब जिन्दजी का मोल लगा हो। कुछ माह पहले इससे भी हृदय विदारक घटना घटित हुई जिसमें पेट की आग और परिवार के भरणपोषण हेतु जनमानस अपनी माटी को छोड़ कर अन्यत्र जाते हैं।

विकट परिस्थितियों में जीवन निर्वाहन करते हैं, और उनके साथ जब कोई घटना घटित होती है तो शासन प्रशासन कागज के चंद टुकड़े सहानुभूति पूर्वक दे कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।

क्या मानव जीवन इतना सस्ता और निर्मूल्य हो गया कि उसके इसके भी मोल लगने लगे। कभी ये विचार भी मन में आया कि जो चले गए उनके परिवार वालों पर क्या गुजरती होगी।

उनका क्या मूल्य था उनके लिए या फिर कागज के ये चंद टुकड़े उस कमी को पूरा कर पाएंगे।

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