ज्यादातर दुकानदार, ऑटो रिक्शा चालक, पावरलूम मालिक, सब्जी विक्रेता बंद के विरुद्ध।
भिवंडी से मुस्तक़ीम खान की रिपोर्ट।
कई नगरसेवकों ने भी बंद पर जताई आपत्ति।
भिवंडी। महापौर द्वारा संपूर्ण भिवंडी को 15 दिन के लिए लॉकडाउन लागू करने के ऐलान का भिवंडी में कई नगरसेवकों, राजनीतिक दल के नेताओं, सामाजिक संस्था से जुड़े लोग, दुकानदारों, ऑटो रिक्शा चालक मालक, पावरलूम मालिक तथा अन्य कारखाना मालिक सब्जी विक्रेताओं ने व्यापक विरोध करना शुरू कर दिया है।
गौरतलब हो कि भिवंडी में कोरोना रोग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए 2 दिन पहले भिवंडी मनपा महापौर प्रतिभा पाटिल ने एक वीडियो जारी कर भिवंडी को 15 दिन के लिए सम्पूर्ण लाकडाउन करने के प्रस्ताव का ऐलान किया था।
इस प्रस्ताव पर भिवंडी की राजनीत पूरी तरह से गरमा गई है। मनपा के कई नगरसेवकों ने भी महापौर के इस प्रस्ताव का विरोध किया है, उन्होंने कहा है कि यह समस्या का हल नहीं है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने सवा 2 महीने से अधिक के समय का लाकडाउन किया था।
लॉकडाउन खुलने के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह शहर के दुकानदारों, ऑटो रिक्शा चालक मालक तथा अन्य उद्योग धंधे से जुड़े कारोबारी लोग भी इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं।
भिवंडी रिक्शा चालक मालक महासंघ के अध्यक्ष खालिद इरफ़ान ने कहा की ऑटो रिक्शा वाले भुखमरी के दंश को झेल रहे हैं। यदि महानगर पालिका प्रशासन को 15 दिन का लॉकडाउन घोषित करना है तो वह पहले भिवंडी शहर के 15 हजार ऑटो रिक्शा चालक मालिकों को खाने की वस्तुएं मुहैया कराए, ताकि उनके परिवार के बाल बच्चे भुखमरी से बच सकें।
इस संदर्भ में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भिवंडी शहर एमआईएम जिला अध्यक्ष शेख खालिद गुड्डू ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महानगरपालिका आयुक्त ने लॉकडाउन में गरीब मजदूरों की मदद करने तथा कोरोन रोग को रोकने में बुरी तरह फेल साबित हुए हैं।
आयुक्त अपनी नाकामी छुपाने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र रच रहे हैं। भिवंडी में हो रही लोगों की बेतहाशा मौत के जिम्मेदार मनपा आयुक्त हैं जिन्हें तुरंत हटा कर अन्य महानगरपालिका की तरह भिवंडी में भी आईएएस अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिये तभी स्थिति नियंत्रण में आएगी।
मनपा आयुक्त और मनपा चिकित्सा अधिकारी मिलकर मौत का खेल खेल रहे हैं। खालिद गुड्डू ने कहा कि यह लॉकडाउन के पीछे हुए भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने की एक सोची समझी राजनीति है।
आज शहर में उद्योग धंधे वालों से लेकर के मजदूरी करने वालों तक की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। ऐसे में फिर से 15 दिन का लॉकडाउन करना समस्या का हल नहीं है।
उन्होंने महापौर और मनपा आयुक्त से सवाल किया है कि यदि 15 दिन के लाकडाउन में शहर में हो रही मौतों का सिलसिला नहीं थमा तो क्या वह उसकी जिम्मेदारी लेंगे ?
इसी तरह सब्जी बेचने वाले लोगों ने कहा कि हम लोग इतनी बुरी स्थिति में शहर में रहकर किसी तरह अपना पेट पाल कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं फिर से लाकडाउन हमारी कमर ही तोड़ देगा।
हमारे घरों में खाने के लिए राशन व उसे लाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। पावरलूम कारखाना मालिकों ने कहा कि मनपा प्रशासन नागरिकों का कोई सहयोग नहीं करती है उल्टे कानून पर कानून बनाकर लोगों को परेशान करने के सिवा यह और कुछ नहीं है।
नाम ना छापने की शर्त पर कई कारखाना मालिकों ने कहा कि बड़ी मुश्किल से मजदूरों को रोककर 24 घंटे में एक शिफ्ट कारखाना चलाया जा रहा है। यदि इस बार फिर से भिवंडी में सम्पूर्ण जनता लॉकडाउन किया गया तो मजदूर वापस गांव चले जाएंगे फिर उनका लौटना मुश्किल हो जाएगा।
मनपा प्रशासन को चाहिए कि कंटेनमेंट एरिया में जहां कोरोना रोग तेजी से फैल रहा है उस एरिया में लॉकडाउन किया जाए और शासन द्वारा निर्देशित नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए। दुकानों सोशल डिस्टेंसिंग का नियम सख्ती से लागू किया जाए।
एम आई एम के पूर्व अध्यक्ष शादाब उस्मानी ने कहा कि महापौर के इस प्रस्ताव से हम सहमत नहीं हैं अमीर तो अपना घर खर्च कैसे भी चला लेगा, लेकिन गरीबों की मदद करने में कोई आगे नहीं आता है। मध्यमवर्गीय परिवारों और गरीबों के दुख दर्द को प्रशासन समझ नहीं पा रहा है।
लॉकडाउन में मनपा प्रशासन के अधिकारियों ने गरीबों के साथ क्या खेल खेला है। इस बात लोगों ने अभी तक भूली नहीं है ? इस मामले में मनपा प्रशासन पूरी तरह से नाकाम सिद्ध हुआ है। लॉक डाउन कर संपूर्ण भिवंडी को बंद करने से अच्छा है कि प्रशासन चुस्त-दुरुस्त होकर मरीजों के इलाज की सुविधा बढ़ाएं और लॉकडाउन के निर्देशित नियमों का कड़ाई से पालन कराए।