धरती के भगवान हैं डॉक्टर, कथन को सच करती रक्तकोष प्रभारी
शहडोल संभागीय ब्यूरो मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
खुद की परवाह न कर 50 बार किया रक्तदान।
चिकित्सा विज्ञान ने यूं तो बहुत से अनुसंधान किए हैं, लेकिन अब तक कृत्रिम रक्त की व्यवस्था नहीं हो पाई है। आज भी जब कोई व्यक्ति खून की कमी से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष क रता है तो दूसरा व्यक्ति ही रक्तदान कर जीवन बचाने आगे आता है। अपना रक्त देकर दूसरे का जीवन बचाने वाले रक्तदाता संसार के सबसे बड़े दानवीर है।
आज यहां हम शहडोल जिले की ब्लड बैंक अधिकारी सुधा नामदेव की बात कर रहे है जिन्होंने अपना सारा जीवन लोगो को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने में लगा दिया कहते है लोगो को समझाइश देने से पहले कुछ बाते खुद में अमल करनी चाहिए और शहडोल ब्लड बैंक प्रभारी सुधा नामदेव जी ने ऐसा ही किया और अब तक 50 बार से भी ज्यादा बार रक्त दे लोगो की जान बचाई।
जब ब्लड बैंक में खून की कमी पड़ती है तो यह लोगो से सोशल मीडिया के माध्यम से अपील करती है और अति आवश्यक होने पर वह खुद अथवा अपने स्टाफ से रक्तादान करने को कहती हैं और उनका स्टाफ भी बढ़ चढ़कर कर जिले के सामाजिक बंधु भी आगे आकर रक्तदान करते है ताकि ब्लड बैंक में रक्त की कमी न पड़े।
वर्तमान समय मे जिला अस्पताल का ब्लड बैंक खबरों में बना हुआ है ऐसी संवेदनशील अधिकारी पर कई तरह के आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे है पर क्या लोगो की सहायता के लिए सदा खड़ी रहने वाली ब्लड बैंक अधिकारी डॉक्टर सुधा नामदेव जिनके आने पर ब्लड बैंक का स्तर काफी हद तक सुधरा ऐसा कर सकती है।
कोरोना जैसी भीषण महामारी में जिले में सर्वाधिक ब्लड डोनेड हुआ। ये सब कहीं न कहीं उनकी सच्ची निष्ठा और ईमानदारी पूर्वक किये गए कार्य का ही परिणाम है। खैर उनके ऊपर लगाए गए आरोप कितने सही है यह तो जांच होने के बाद ही पता चलेगा।पर क्या सच मे वो ऐसा कर सकती है ये सोचनीय विषय है?
जब अस्पताल में ब्लड की जरुरत होती है और रक्तदाता नहीं मिलते तो जिला ब्लड बैंक का स्टाफ खुद अपना रक्त दान करने के लिए तैयार हो जाता है। यह सब मुमकिन हुआ है तो यहां की ब्लड बैंक प्रभारी की सच्ची लगन और ईमानदारी पूर्वक किये कार्य की वजह से।
शहडोल जिला ब्लड बैंक में वैसे तो खून की कमी नहीं पड़ती है लेकिन कभी कभी ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि डोनर नहीं मिलते हैं ऐसे वक्त पर यहां का स्टाफ खुद ही रक्तदान करने तैयार हो जाता है। ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ.सुधा नामदेव अपने फेसबुक एकाउंट को हमेशा अपडेट रखती है।
यह लोगों से फेसबुक लाइव के माध्यम से रक्तदान की अपील करती हैं। इनके फेसबुक अकाउंट से शहडोल के अलावा प्रदेश के दूसरे जिलों के भी रक्तदाता जुड़े हुए हैं। इनकी एक अपील पर लोग रक्तदान करने पहुंच जाते हैं। इसके बाद भी कभी ऐसा मौका आ जाता है कि बेहद जरूरी होने पर भी रक्त नहीं मिलता तो ऐसे में इनका स्टाफ खुद रक्तदान करने आगे आ जाता है।
जीवन के कई तरह के उतार चढ़ाव आने के बाद भी अपने कार्यो से कभी मुँह नहीं मोड़ा।
गौरतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने के बाद भी वो अपने फ़र्ज़ से पीछे नहीं हटी जानकारी के अनुसार 1सितंबर 2008 को उन्हें ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चला और 5 सितंबर 2008 को उनका ऑपरेशन हुआ 10 सितंबर को शहडोल आने के दूसरे दिन से ही अपने कार्यों के लिए ब्लड बैंक में उपस्थित हो गई।
अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण 18 सितंबर को पुनः दिल्ली एयर एंबुलेंस से गई कई यूनिट ब्लड चढ़ने के बाद उनकी जान बचाई गई लेकिन हिम्मत ना हारते हुए वापस आने के बाद दूसरों की जान बचाने हेतु खुद हर 3 महीने में ब्लड डोनेट करने लगी और अपने स्टाफ एवं सोशल मीडियम के माध्यम से तथा कैंप लगाकर लोगों को रक्तदान करने हेतु प्रेरित करने लगी।
उनकी कड़ी मेहनत का ही प्रतिफल है की करोना जैसे भीषण महामारी मैं भी दानदाताओं ने आगे आकर ब्लड डोनेट किया और और ब्लड बैंक में ब्लड की आपूर्ति न होने दी प्रदेश में शहडोल जिला दूसरे ऐसा जिला है जहां करोना काल में भी ब्लड की कमी नहीं हुई। ये सब उनके द्वारा किये गए जागरूकता का ही नतीजा है।
कहते हैं अगर लोग समाज में कुछ करने की ठान ले तो वह कहीं भी रहेंगे अपना कार्य करते रहेंगे इनका शहडोल से कटनी ट्रांसफर हुआ और यह जब तक कटनी में रही वहां भी लोगों को ब्लड करने के लिए जागरूक किया।
जुलाई 2017 में वापस ब्लड बैंक शहडोल में आयी फिर यहां की पटरी से उतर चुकी ब्लड बैंक की व्यवस्था को पुनः पटरी में लाने का प्रयास किया और ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की शुरुआत की जिससे प्लेट्स आदि के लिए शहडोल की जनता को भटकना न पड़े इस बीच कई परिवारिक उतार-चढ़ाव भी है पर उन्होंने इसका प्रभाव अपने कार्यों पर ना पढ़ने दिया और अपने कार्यालयीन दायित्व को भी बखूबी निभाया।
आज शहडोल जिले में जिला ब्लड बैंक में थैलेसीमिया सीकल एनीमिया हो या अन्य किसी को ब्लड की आवश्यकता है दिन हो या रात हो हर वक्त लोगों की मदद के लिए ब्लड ब्लड बैंक में उपलब्ध है कहीं ना कहीं यह सब इनकी मेहनत का ही परिणाम है ।
60 वर्ष से ऊपर के होने के बाद भी इतनी बीमारियां झेलने के बाद साल में दो से तीन बार खुद ब्लड डोनेट करना उनकी अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी व निष्ठा को स्वयं ही बताती है ऐसे में तो क्या ब्लड बैंक अधिकारी के ऊपर लगाए गए आरोप सही है यह समझ से परे है अब जांच टीम क्या निष्कर्ष निकलती है यह तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
हमेशा करती हैं लोगों की मदद। किसी भी गरीब की मदद सहित कई सामाजिक संस्था की मदद वह खुद अपनी सैलरी से करते हैं। पूरे ब्लड बैंक में कैमरे लगवाए ताकि ब्लड बैंक में किसी भी तरह की कालाबाजारी से बचा जा सके। अगर जांच टीम सीसीटीवी फोटो की जांच करें तो तो ब्लड बैंक अधिकारी की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सभी के सामने आ जाएगी।
क्या कहते हैं, रेगुलर ब्लड डोनर, जिले के रेगुलर ब्लड डोनर समाज सेवी राहुल सिंह जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि कोई कुछ भी कहे ब्लड बैंक की कालाबाजारी में सुधा मैडम का हाथ नहीं है। समाज सेवी सिल्लू रजक कहते हैं कि हम आज कई सालों से ब्लड डोनेट कर रहे हैं। मैडम सदा लोगों को जागरूक करती हैं। इस तरह की कालाबाजारी में उनका हाथ नहीं हो सकता।