पानी में नामक की तरह घुल गई उकता नाले की 10 लाख की पुलिया।
नाला के विपरीत दिशा में बना रहे हैं घटिया पुलिया:
पूर्ण निर्माण होने के पहले ही जगह-जगह पड़ गई दरारें, बिना बेस के खड़ा कर दिया बड़ा स्ट्रक्चर।
अनाधिकृत व्यक्ति से कराया जा रहा निर्माण कार्य।
कोरोना संक्रमण काल में मजदूरों का हो रहा है शोषण।
तस्वीर का खाका खींचा है शहडोल से मोहित तिवारी ने…
शहडोल के जय सिंह नगर में कोरोना संक्रमण काल में जहां एक ओर ग्राम पंचायतों में मजदूरों को ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से निर्माण कार्य कराए जाने के निर्देश हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ ग्राम पंचायतों में अनाधिकृत व्यक्तियों से लापरवाही पूर्वक घटिया निर्माण कार्य करा कर ग्रामवासियों के हक पर डाका डाला जा रहा है। इन दिनों गांवों में जीविकोपार्जन के लिए मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए जो निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, उसमें अधिकांश निर्माण कार्यों में शासकीय नियमों की अनदेखी की जा रही है। कई निर्माण स्थलों पर संबंधित निर्माण कार्य का ना तो बोर्ड लगा रहता है और ना ही वहां कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद रहता है। नतीजतन मनमाने तरीके से घटिया निर्माण कार्य को अंजाम दिया जाता है।
ऐसा ही एक नजारा जयसिंहनगर जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत बलौडी पश्चिम के उकता नाला में बन रही पुलिया के निर्माण में देखने को मिला। जहां बिना व्हिस्की बड़ा स्ट्रक्चर को खड़ा किया जा रहा है। नाला के विपरीत दिशा में पुलिया का निर्माण किया जा रहा है जिससे भविष्य में नाला के पानी के बहाव पर सवालिया निशान लग रहा है। दस लाख की लागत की घटिया पुलिया के निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। निर्माण स्थल पर ना तो मानक स्तर की रेत इस्तेमाल की जा रही थी और ना ही अन्य कोई निर्माण सामग्री। निर्माण कार्य में मजदूरों की जगह मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पुलिया में ना तो मापदंड के अनुसार छड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है और ना ही मानक स्तर का मसाला उपयोग में लाया जा रहा है। सिर्फ ज्यादा गिट्टीऔर रेता में कम मात्रा में सीमेंट मिलाकर ढलाई की जा रही थी। ऐसे में बारिश के पानी में ही नव निर्माण का मसाला बहने लगा है और निर्माण पूर्ण होने के पहले ही जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग रहा है?
अनाधिकृत व्यक्ति से कराया जा रहा है निर्माण:
ग्रामीणों ने बताया है कि पुलिया का निर्माण कार्य किसी अनाधिकृत व्यक्ति से कराया जा रहा है। जो मजदूरों और निर्माण सामग्री की सप्लाई कर भारी मात्रा में कमीशन खोरी कर रहा है। साथ ही इस कमीशन खोरी का हिस्सा निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों को भी बनाया जा रहा है।
मजदूरों का हो रहा शोषण:
बताया गया है कि निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को प्रतिदिन कम मजदूरी दी जा रही है। जबकि मनरेगा के तहत शासन स्तर पर 190 रुपए मजदूरी निर्धारित की गई है। कई ग्रामवासियों ने यह भी आरोपित किया कि कोरोना संक्रमण काल में उन्हें किसी भी निर्माण कार्य में काम नहीं दिया गया है और मशीनें लगाकर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। मजदूरी नहीं मिलने से वह भुखमरी की कगार पर आ गए हैं।
अधिकारियों की लापरवाही का उठाते हैं फायदा:
ग्रामीणजनों ने आरोपित किया है कि निर्माण कार्य स्थल पर जनपद और जिले स्तर के अधिकारी कभी कभार ही आते हैं। जिससे पंचायत स्तर पर मनमाने तरीके से घटिया निर्माण कार्य कराया जाता है। इंजीनियर भी लापरवाही बरतते हैं।