राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन।

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन।

हरदा दिनांक 10 सितम्बर 2020 शहरी आशा कार्यकर्ताओं की राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.किशोर कुमार नागवंशी ने बताया कि वायु प्रदूषण हवा में ठोस कणों, तरल बिन्दु या गैस के रूप में मौजूद पार्टिकुलेट मेटर के कारण होता है। ये प्राकृतिक या कृतिम हो सकते हैं। अति सुूक्ष्म पार्टिकल नासिका या मुंह द्वारा श्वसन के दौरान फेंफड़ों तक पहुंचते हैं। वहां से रक्त की धमनियो में प्रवेश कर शरीर के विभिन्न भागों में ये कण पहुंचते हैं तथा दिल, फेंफड़ों, दिमाग आदि को हानि पहुंचाते हैं। घर में वायु प्रदूषण इनडोर एयर प्रदूषण कहलाता है। जिसमें रसोई घर में कोयला, कण्डे़ और लकड़ी को ईधन के रूप में उपयोग करना, केरोसिन, स्टोव का उपयोग करना, मच्छर अगरबत्ती, धूप बत्ती का उपयोग करना, बीडी, सिगरेट से धूम्रपान करना, सिगड़ी एवं अलाव जलाना, कूड़ा कचरा जलाना, घर में सफाई के लिए रसायनों का प्रयोग करना, दिवालों पर ताजा पेंट करना से सभी कारण इनडोर प्रदूषण के कारण होते हैं।

The national climate change and human health programme one day workshop organized.

वायु प्रदूषण से फेफडे़ के केंसर, निमोनियां, अस्थमा, दिल का दौरा, स्ट्रोक ऐसी बीमारियां हो सकती हैं। फेफडे़ के केंसर से होने वाली मृत्यु में 29 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। स्ट्रोक या दिमागी दौरा पड़ने से होने वाली मृत्यु में 24 प्रतिशत का कारण वायु प्रदूषण होता है। दिल की बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 25 प्रतिशत वायु प्रदूषण होता है। फेेफड़ों की बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 43 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। गर्भवती महिला का गर्भ प्रभावित होता है। गर्भस्थ शिशु का समय पूर्व जन्म, कम वजन का होना, आई क्यू कम होना, सीखने में कठनाई होना, बड़ी उम्र में मोटापा या डायबिटीज जैसी बीमारियों का जोखिम होना, वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से सावधानियों रख कर बचा जा सकता है। जैसे, रसोई घर में स्वच्छ ईधन का उपयोग करें, खाना बनाते समय खिडकी दरवाजे खुले रखें, पेड़ पौधे लगाकर हरियाली बढ़ाएं, कूड़ा कचरा नहीं जलाये, घर में धूम्रपान नहीं करें, नियमित रूप से प्रतिदिन पैदल चलें, नियमित व्यायाम करेें, सायकिल चलाएं, नियमित योग करें, ताजी हरी सब्जियों का उपयोग प्रतिदिन करें, खान पान में नियमित प्रोटीन युक्त पोष्टिक भोजन का उपयोग करें।

The national climate change and human health programme one day workshop organized.
पसंद आई खबर, तो करें शेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *