टांड़ा में नवीन धान उपार्जन केन्द्र खुलने से किसानों को हुई सुविधा।

टांड़ा में नवीन धान उपार्जन केन्द्र खुलने से किसानों को हुई सुविधा।

धान बेचने के लिए अब नहीं जाना पड़ता दूरस्थ केन्द्र।

छत्तीसगढ़ स्टेट इंचार्ज ईश्वर जांगड़े की रिपोर्ट।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों के हित में नित नये फैसले लिये जा रहे हैं। जिससे किसानों को सुविधा हो और वे अधिकतम लाभ अर्जित कर सकें। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नवीन धान उपार्जन केन्द्रों की अनुमति दी जा रही है। जिले में 6 नवीन धान उपार्जन केन्द्रों की अनुमति दी गई है। इन्हीं में विकासखंड तखतपुर के ग्राम टांड़ा का धान उपार्जन केन्द्र शामिल है।

Opening of a new paddy growing centre in tanda facility available to farmers.

यहां नवीन धान उपार्जन केन्द्र खुल जाने से स्थानीय किसान खुश हैं। टांड़ा धान केन्द्र में टांड़ा, कपसियाकला, कपसिया खुर्द एवं दर्री चार गांवों के किसानों से धान खरीदी की जायेगी। पहले किसानों को 10 किलोमीटर दूर ग्राम भरारी के उपार्जन केन्द्र में धान लेकर जाना पड़ता था। धान केन्द्र प्रभारी श्री सालिक राम साहू ने बताया कि यहां दो दिवस में 26 किसानों से 1612 क्विंटल धान की खरीदी की गई है। केन्द्र में धान बेचने के लिए 682 किसानों का पंजीयन हुआ है। केन्द्र के अंतर्गत धान का 750.63 हेक्टेयर रकबा पंजीकृत है।

Opening of a new paddy growing centre in tanda facility available to farmers.

धान बेचने आये किसान श्री पंचराम मकुंदा ने बताया कि वे कपसियाकला से धान बेचने आये हैं। उन्होंने 3.5 एकड़ रकबे में धान की खेती की है। आज उनके द्वारा 52 क्विंटल धान की तौलाई करायी गयी। वे कहते हैं कि उन्हें टोकन लेने एवं धान बेचने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। पहले धान लेकर भरारी तक जाना एक समस्या थी लेकिन अब यहां केन्द्र खुल जाने से सुविधा हो गई है। टांड़ा के ही श्री रेशमलाल जोशी ने बताया कि उन्होंने 21 क्विंटल धान की तौलाई करायी है और उन्होंने 2 एकड़ में धान की खेती की है। वे कहते हैं कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था से वे संतुष्ट है। श्री किशोर गुप्ता ने बताया कि उन्हें 60 क्विंटल धान का टोकन जारी हुआ है उन्हें धान बेचने में किसी प्रकार की समस्या नहीं आ रही है। श्री नरेश पटेल ने 8 एकड़ रकबे में धान की खेती की है और उन्होंने 100 क्विंटल धान की तौलाई करायी है। वे कहते हैं कि अब उन्हें साहूकारों पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं है।

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