हम पुत्र ही नहीं पात्र भी बनें: पं.नीरज महाराज
रहटगांव से नीलेश गौर की रिपोर्ट।
रहटगांव। तहसील के ग्राम नज़रपुरा में श्रीमद्व भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास जी ने शुकदेव जी की पूरी भागवत कथा का ज्ञान दिया। वेदव्यास जी से किसी ने कहा कि शुकदेव जी आपके पुत्र हैं इसलिऐ आपने उनको पूरी भागवत का ज्ञान दे दिया। तब वेदव्यास जी ने उत्तर दिया कि शुकदेव जी केवल पुत्र ही नहीं वह पात्र भी हैं। जबकि गुरु द्रोणाचार्य जी का पुत्र अश्वत्थामा बहुत प्रिय पुत्र था पर वह पात्र नहीं था इसलिऐ अपनी समस्त विद्या अर्जुन को दे दी। हम अपने पुत्र में पात्रता भी देखें।
संसार में जन्म से परण और परण से बुढ़ापे तक का सफर तो तय हो जाता है पर खाट से घाट तक का सफर बहुत मुश्किल से कटता है। इसलिऐ केवल भगवान का नाम ही इस सफर को सरल कर सकता है। क्योंकि भगवान के नाम को कभी सूदक या दोष नहीं लगता।
हम मुर्दे के साथ भी राम नाम बोल सकते हैं। सब्जी दाल रात भर में खराब हो सकती हैं। फल खराब हो सकता है पर भगवान का नाम अनादि काल से कभी खराब नहीं हुआ। हम भगवान के नाम का शंका नही डंका बजाया करें।
शंख कम बजने से शंका बढ़ने लगती है। हम वस्तु साधन बदलने की बजाय अपना स्वभाव ही बदल लें तो जीवन जीना और सरल हो जाऐगा। साधन की बजाय स्वभाव बदलें भजन करके हम ब्रह्म ज्यादा और भ्रम कम बनाएं। देह है इसलिऐ संदेह हो जाता है पर भगवान की कथा उनका संदेश हमारे जीवन के सभी संदेह दूर कर देते हैं। भगवान की कथा में कुशवाह परिवार द्वारा कल कृष्ण जन्म उत्सव में आने का निवेदन किया गया इस दौरान श्रद्धालुओ का तांता लगा रहा।
रहटगांव से नीलेश गौर की रिपोर्ट।