मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वे अपनी विवेक का सहारा लें: राजेश्री महन्त जी।
अनेक महामारीयों का उन्मूलन पूर्व में भारत सरकार की सुनियोजित नीति से संभव हुआ है।
राष्ट्रीय टीकाकरण की नीति को केंद्र सरकार अवश्य अपनाये इससे देश का भला होगा।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।
देश में करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। लाखों लोग छोटे-छोटे व्यवसाय से अपनी जीविका चलाते हैं वे जीवन रक्षक दवाई खरीद पाने में असमर्थ होंगे।
भारतवर्ष में आजादी के पूर्व तथा उसके पश्चात कालरा हैजा, चेचक, पोलियो जैसी अनेक महामारियों का सामना किया है। इतनी अफरा-तफरी कभी भी नहीं रही। इन विपत्तियों का सामना देश ने विपरीत परिस्थितियों में किया है। वर्तमान संकट से भी छुटकारा मिलेगा लेकिन इसके लिए सुनियोजित ढंग से कार्य करने की आवश्यकता है।
यह बातें श्री दूधाधारी एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग ने अभिव्यक्त की। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय विपदा के समय सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक संस्था का आगे आकर देश की परिस्थितियों का स्वयं संज्ञान लेना स्वागत योग्य है। उसकी चिंता भी सही है, केंद्र की सत्ता पर आसीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार को राष्ट्रीय टीकाकरण की नीति अपनानी ही चाहिए। कारण कि देश में करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। उससे भी कहीं अधिक लोग छोटे-छोटे व्यवसाय तथा रोजी मजदूरी करके जीवन जीने पर मजबूर हैं। इन सब के लिए शुल्क पर आधारित टीकाकरण कारगर साबित नहीं होगा। जहां एक ओर उच्च वर्ग के साधन संपन्न लोग निर्धारित राशि जमा करके इसका लाभ ले पाएंगे वहीं समाज का बहुत बड़ा तबका इससे वंचित हो जाएगा। मुखिया होने के नाते भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह कर्तव्य है कि वे इस बात को काफी गंभीरता पूर्वक लें। श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है कि “मुखिया मुख सो चाहिए खान पान को एक। पालै पोंसै सकल अंग तुलसी सहित विवेक।।” उन्हें भी इस राष्ट्रीय विपदा से देश को उबारने के लिए अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए।
कोरोना को हम हराएंगे, कोरोना से हम जीतेंगे इस तरह के स्लोगन से किसी का भला होने वाला नहीं है। इसके लिए हमें ठोस रणनीति अपनाते हुए कार्य करना पड़ेगा। विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर के आने की संभावना पहले से ही हम सब को बता दिया है। उस के आगमन के पूर्व उसका निदान हम कैसे करें इस पर विषय विशेषज्ञों की राय लेकर अभी से कदम उठाना चाहिए ताकि तीसरी लहर उत्पन्न होने से पहले ही उसे समाप्त किया जा सके। जो त्रासदी आज पूरा देश झेल रहा है इस के आगमन की सूचना विशेषज्ञों ने पिछले वर्ष मार्च अप्रैल में ही दे दिया था। किंतु साल भर तक हमारी तैयारी उस स्तर पर नहीं हो सकी जैसा होना चाहिए था।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।