नेमावर में प्रेम प्रसंग में पांच लोगों की जघन्य हत्या सात गिरफ्तार।
पुलिस की लेटलतीफी और बाहुबलियों का दबाव।
ग्राउंड जीरो से सैयद महमूद अली चिश्ती की रिपोर्ट।
देवास जिले के नेमावर में हाई प्रोफाइल हत्याकांड में आदिवासी परिवार के 5 सदस्यों को जमीन में10 फिट गहरे गड्ढे में दफना दिया। इस खबर से आदिवासी समाज के लोगों में काफ़ी रोष है। आदिवासी संगठन जयस और गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी के हजारों लोगों ने आज नेमावर थाने का घेराव किया। नेशनल हाइवे 59 ए पर चक्का जाम कर प्रदर्शन किया। पांच सदस्यों की बर्बरतापूर्वक हत्या करने वाले सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 48 दिनों बाद पुलिस प्रशासन की लेटलतीफी और सत्ता के बाहुबलियों का दबाव का आरोप भी लग रहा है। इस घटना के विरोध प्रदर्शन में आदिवासी संगठनों के लोगों ने खातेगांव विधायक आशीष शर्मा के खिलाफ भी मुर्दाबाद के नारे लगाए। सूत्रों के अनुसार विधायक आशीष शर्मा पल पल का अपडेट मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को दे रहे थे। हत्या में आरोपीजन बाहुबली बताए जा रहे हैं। पुलिस को आदिवासी समाज संगठन द्वारा शुरुआती जांच के दिनों में कथित तौर पर सुरेन्द्र सिंह का नाम बताया था उसके बाद भी पुलिस ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दी थी। पुलिस पर ऐसे आरोप लगे और अब जब 48 दिनों बाद सच सामने आया तो आदिवासी संगठनों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। आंदोलन में विपक्ष के नेता भी शामिल हो रहे हैं। जिस से मामला गम्भीर होते जा रहा है। इसमें कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है कि की डेमेज को मैनेज कंट्रोल करने के लिए सरकार वक्त की नजाकत को भांपते हुये पीड़ित वर्ग की मांगे मान सकती है। कुछ पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है ताकि मामला शांत हो सके। सरकार और प्रशासन आपसी समन्वय कर संगठनों की कुछ मांगे मानने को तैयार हो गए हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस हत्याकांड पर लोगों में रोष व्याप्त है: समाज की बर्बरता पूर्वक घटना से सभी में रोष है। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सामाजिक संगठनों और आदिवासी संगठनों ने प्रशासन के सामने रखा ये मांगें: केस का ट्रायल खातेगांव कोर्ट की बजाए इंदौर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए; बलात्कार, एट्रोसिटी की धाराएं और जोड़ी जाएं; 45 दिन पहले ही समाजजनों ने मुख्य आरोपी का नाम बता दिया था तब भी गिरफ्तारी में बिलम्ब किया गया। थाना प्रभारी को भी इस घटना में सहआरोपी बनाया जाए क्योंकि देरी के चलते बालात्कार के सबूत नष्ट हो गए, बॉडी डिकम्पोज हो गई; स्पेशल वकील नियुक्त किया जाए; पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, राशि रुपया एक करोड़ मुआवजा के साथ पीड़ित परिवार को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए; आरोप पत्र बनाने की जिम्मेदारी किसी आईपीएस अधिकारी को दी जाए; सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर फांसी की सजा सुनिश्चित की जाए।
आईए जानते हैं पूरे मामले का घटनाक्रम: देवास ज़िले के नेमावर में हुए पांच लोगों के जघन्य हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। प्रेम प्रसंग के कारण इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। मृतक परिवार की बेटी से जिस लड़के का प्रेम प्रसंग चल रहा था उसी ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया। बाद में पूरे परिवार को जेसीबी से 10 फीट गहरा गढ्ढा खोदकर सभी की लाशें जमीन में दफन कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी सुरेंद्र राजपूत है। इसी ने अपनी प्रेमिका रूपाली से तंग आकर इस वारदात को अंजाम दिया है। डेढ़ महीने से लापता था मृतक आदिवासी परिवार: नेमावर में रहने वाले मोहनलाल कास्ते की पत्नी ममता बाई कास्ते उम्र 45 साल, बेटी रूपाली उम्र 21साल, बेटी दिव्या उम्र14 साल, रवि ओसवाल की बेटी पूजा उम्र15 साल और बेटा पवन उम्र14 ये सभी13 मई 2021 के दिन से लापता थे। जब कई दिन तक इनका सुराग नहीं लगा तो परिवार और नाते रिश्तेदारों सहित कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने पुलिस को सूचना दी। उसके बाद से ही इन लापता लोगों की तलाश की जा रही थी।
प्रेम प्रसंग में धोखा़ तो हुआ जान भी गई: घटना की जानकारी लगते ही उज्जैन रेंज आईजी एडीजी श्री योगेश देशमुख बीती रात नेमावर पहुंच गए थे। जहां आज श्री योगेश देशमुख ने देवास एसपी डॉक्टर शिव दयाल सिंह के साथ घटना स्थल का मुआयना किया। एडीजी श्री योगेश देशमुख ने बताया कि यह जघन्य हत्याकांड सुरेन्द्र और रूपाली के प्रेम प्रसंग की वजह से हुआ है। सुरेन्द्र का मृत युवती रूपाली से प्रेम प्रसंग था लेकिन सुरेन्द्र की कहीं ओर शादी तय हो गई थी। रूपाली नहीं चाहती थी कि सुरेन्द्र की शादी कहीं और हो बस इसी वजह से सुरेन्द्र ने उसे रास्ते से हटाने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया। मामला बेहद पेचीदा और उलझा हुआ था। कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा था। पुलिस ने जांच के लिए कई टीमें बनायीं और आसपास के जिलों में भी भेजीं। इसी दौरान सभी मृतकों के मोबाइल फोन की लोकेशन भी ट्रेस की गयी। मृतका रुपाली के फोन की लास्ट लोकेशन और कॉल डीटेल के आधार पर पुलिस ने आरोपी सुरेन्द्र राजपूत से सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच उगल दिया। उसके बाद पुलिस ने सुरेन्द्र सहित इस हत्याकांड में उसके मददगार सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
13 मई को ही सभी पांचों लोगों की निर्दयता पूर्वक कर दी थी हत्या: यह जघन्य हत्याकांड पूरी तरह से सुनियोजित था। आरोपियों ने 13 मई की देर रात रूपाली सहित उसके परिवार के पांच लोगों को अगवा कर खेत में हत्या कर दी थी। सभी पांचों लोगों की हत्या के बाद जेसीबी मशीन से 10 फीट गहरा गढ्ढा कर शवों को एक के ऊपर एक डाल दिया गया। आरोपी कितने शातिर हैं इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि शवों को नष्ट करने के लिए उन पर यूरिया और नमक डाल दिया गया था। एडीजी श्री योगेश देशमुख ने नेमावर थाने में हत्या के कारणों का खुलासा किया।
पुलिस ने जगह जगह लगाए थे पोस्टर 48 दिन बाद इस हत्याकांड का सच पता चला: 13 मई से लापता इस मृतक आदिवासी परिवार की तलाश में पुलिस ने इन लोगों के जगह जगह पोस्टर भी लगाए थे। इनकी तलाश में जुटी पुलिस को जैसे ही कुछ सुराग हाथ लगा तो 3 दिन पहले संदिग्ध युवकों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ शुरू कर दी गई थी। कड़ी पूछताछ के बाद अंततः आरोपियों ने हत्या करना उगल ही दिया।10 फिट गहरे गढ्ढे में से निकले एक साथ पांच शव: आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने खेत में जाकर गढ्ढा खुदवाया तो उसमें से एक के बाद एक पांचों लोगों के शव निकले। इस हत्याकांड से पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी इलाके में तनाव है।मृतक आदिवासी समाज के थे इसलिए विरोध में पूरा आदिवासी समाज इकठ्ठा हो गया है। आदिवासियों के साथ जयस और गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी के लोग भी शामिल हो गए। शासन स्तर पर भी भोपाल में इस लोम हर्षक घटना से हलचल मची हुई है।
ग्राउंड जीरो से सैयद महमूद अली चिश्ती की रिपोर्ट।