“मेरे रक्त से किसी की जिंदगी बच जाए इससे बड़ा पुण्य क्या।”
15 वार रक्तदान कर चुके रक्त वीर योद्धा की जुबानी।
सागर से विपिन दुबे की रिपोर्ट।
सागर। आज से करीब 4 साल पहले सागर के भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में करीब दो माह की बच्ची को बी नेगेटिव खून की जरूरत थी। मासूम को बचाने के लिए उसकी मां आंखों में आंसू लिए कभी डॉक्टरों के आगे फरियाद करती तो कभी किसी से फोन पर संपर्क करती। इस बीच मैंने उससे पूछा माताजी क्या हुआ ? उसका सवाल था बेटी के लिए खून की जरूरत है। मैंने कहा आप चिंता मत करें। जिस ब्लड ग्रुप की जरुरत बेटी को है मैं देने के लिए तैयार हूं और शायद मेरी जिंदगी का पहला जीने का मकसद वहीं कामयाब रहा। जब मैंने उस बच्ची को अपना ब्लड देकर उसकी जिंदगी बचाई। मुझे अपने आप में लगा कि अपना खून यदि किसी की जिंदगी बच सकता है इससे बड़ा पुण्य क्या है।
इसके बाद मैं समीर जैन के नेतृत्व में चल रहे रक्त वीर योद्धा ग्रुप से जुड़ गया। समीर जैन इस ग्रुप के संरक्षक हैं। समय गुजरता गया और मैं हमेशा जरूरतबंदों के लिए खून देने के हमेशा तैयार रहता। इन चार सालों के सफर में मैंने 15 बार रक्तदान किया। जिंदगी तो सभी जीते हैं लेकिन अपनी जिंदगी किसी के काम आ जाए इससे बड़ी नेकी क्या है ? यही सोचकर पिछले 2 सालों में दुनिया में फैली महामारी में देखा कि हर इंसान किसी न किसी चीज से परेशान है तो मैंने सागर में चल रहे अपराजित मददगार ग्रुप में छोटे से सदस्य के रूप में सहभागिता दर्ज कराई। जरूरत वालों के लिए मौके पर राशन भेजना हमारी टीम का काम था। जिसमें हम सभी सदस्यों ने दिन-रात मेहनत करके समाज सेवा के रूप में यह काम किया। स्टेशन की झोपड़ी हो या मंदिरों के बाहर बैठे दीनबंधु, सभी के लिए लिस्ट ग्रुप में नामांकित करा मदद की।
इसके अलावा वार्डों में पता लगाकर हर गरीब के घर राशन की किट जिसमें खाने-पीने का सामान था वह भिजवाया। इस काम से मुझे अपने आप में सुकून हुआ कि जिंदगी में कुछ करना है तो दूसरों के लिए भी करो। इन दोनों ग्रुपों से जुड़कर मैंने मानवता की सीख ली है। ग्रुप से जुड़कर हम सभी सदस्यों ने इस बार यह पहल की है की कोरोना कॉल में जिन बहनों के भाई दुनिया से विदा हो गए हैं उन बहनों के पास जाकर हमारी टीम के सदस्य अपनी कलाई पर राखी बनवा कर उन्हें अपनी बहन बनाएंगे। इस पहल का मकसद है कि उन्हें एहसास नहीं होने देंगे कि तुम्हारा भाई नहीं है।
मेरा समाज के लिए संदेश है कि जब भी किसी के लिए ब्लड खून की जरूरत पड़े तो आप हमेशा आगे रहना क्योंकि “जीते जीते रक्तदान और जाते जाते नेत्रदान” इससे बड़ा पुण्य दुनिया में कुछ नहीं है। मीडिया के माध्यम से मेरा अनुरोध है जब कभी भी किसी को बी नेगेटिव ब्लड की जरुरत तो मुझे सेवा का अवसर जरुर दें। इसके अलावा ब्लड ग्रुप नाम से सोशल मीडिया पर एक साइट तैयार है जिस किसी को भी किसी भी ग्रुप के ब्लड की जरूरत हो जरूर संपर्क करें। गौरतलब है 15 बार रक्तदान कर चुके इस शख्स को कई समाजसेवियों और अस्पताल प्रबंधन ने सम्मान से नवाजा है। जैसा कि विकास जैन विक्की ने अग्निचक्र लाइव न्यूज को बताया।
सागर से विपिन दुबे की रिपोर्ट।