छतरपुर जिले में कोरोना के बाद एक और आफत, प्रशासन सतर्क।
छतरपुर। जहाँ एक और लोगों में कोरोना का खोफ चल रहा है तो वहीं जिले में टिड्डी दल ने दस्तक दे दी है। जिससे किसान जो लॉकडाउन की मार तो झेल ही रहा है साथ ही इस टिड्डी दल ने भी उनके लिए एक मुसीबत खड़ी कर दी है। जिसकी जिला प्रशासन को अचट गांव में आने की सूचना मिलने पर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया गया। उनके मार्गदर्शन में दवा का छिड़काव फसलों के ऊपर कराया गया। उनके साथ नियंत्रण दल के सदस्य एवं एसडीएम प्रियांशी भंवर भी उपस्थित रही।
खबर मिल रही है कि रेगिस्तानी टिड्डी की उड़ान हजारों मील तक पाई जाती है। टिड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नहीं होती है, लेकिन झुंड में रहने पर बहुत खतरनाक और आक्रामक हो जाती है। फसलों का एक बार में सफाया कर देती है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि आपकी फसल पर किसी ने बड़ी सी चादर बिछा दी हो। टिड्डियां फसलों के फूल, फल, पत्ते, तने, बीज और पेड़ की छाल सब कुछ खा जाती हैं। एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इनका जीवनकाल कम से कम 40 से 85 दिनों का होता है।
भगाने को यह करें उपाय।
टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाडे़, लाउड स्पीकर या अन्य माध्यमों से शोरगुल करना चाहिए।
रासायनिक कीटनाशक मेलाथियान 5 प्रतिशत धूल की 25 किलोग्राम मात्रा का बुरकाव या क्विनालफास 25 प्रति ईसी की 1.5 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें।
टिड्डी दल सुबह 10 बजे के बाद अपना डेरा बदलता है। इसलिए ये जिधर से भी गुजरे अधिक से अधिक शोर करना चाहिए।
नीम के तेल की 40 एमएल मात्रा को 10 ग्राम कपडे धोने के पाउडर के साथ मिलाकर प्रति टंकी पानी में डालकर छिड़काव करने से टिड्डी फसलों को नहीं खा पाती है।
फसल की कटाई के बाद मई और जून में खेत की गहरी जुताई करने से सूर्य की तेज किरणों से भूमि में पड़े कीटों केे अंडे व प्यूपा को नष्ट किया जा सकता है।
अवनीश चौबे रिपोर्टर छतरपुर