आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों को बरकरार रखने का न्यायालयीन अंतरिम आदेश।

आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों को बरकरार रखने का न्यायालयीन अंतरिम आदेश।

भोपाल से मिथलेश मेहरा की रिपोर्ट।

शिवराज सरकार की नैतिक पराजय : दुर्गेश शर्मा, संतोष सिंह गौतम।

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा, संतोष सिंह गौतम ने आज जारी अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कमलनाथ सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्तियों को फिलहाल बरकरार रखने का जो अंतरिम आदेश दिया है, वह इस नवनियुक्त शिवराज सरकार की नैतिक पराजय है।

जिसने सत्ता के दंभ में राजनैतिक विद्वेष की भावना से आनन-फानन में इन नियुक्तियों को रद्द करने का तुगलकी आदेश दिया था।

अपने वक्तव्य में दुर्गेश शर्मा, सन्तोष गौतम ने उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए आगे कहा कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष अभय तिवारी, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक सिंह, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार आदि के साथ ही कई आयोगों के सदस्यों को उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया स्थगन आदेश राज्य सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाते हुए, यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि पूरे मामले में राज्य सरकार ने जो जल्दबाजी की थी दरअसल वह राजनीतिक विद्वेष की भावना के चलते ही की गई थी।

अपने बयान के अंत में प्रवक्ताद्वय ने कहा कि न्यायालय द्वारा दिए गए उक्त स्थगन आदेशों से, हर आम नागरिक का देश की न्याय पालिका के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है। हम आशा करते हैं कि न्यायालय जब अंतिम फैसला सुनाएगा, उसमें भी विजय सत्य की ही होगी।

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