आज भी हिंदी पत्रकारिता की भूमिका अहम: प्रो.टीएन सिंह। सोशल मीडिया पर नियंत्रण जरूरी।
वाराणसी से संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट।
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो.टीएन सिंह ने कहा कि आज के दौर में हिंदी पत्रकारिता की अहम भूमिका है लेकिन इसके समक्ष चुनौतियां भी है।
वर्तमान में सोशल मीडिया पर प्रश्न चिह्न लग रहा है। सोशल मीडिया अनियंत्रित हो गई है।
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर प्रशिक्षित पत्रकार एसोसिएशन नई दिल्ली की ओर से शनिवार को ‘वर्तमान परिदृश्य में सोशल मीडिया की प्रासंगिकता’ पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलने से सोशल मीडिया ने सभी को पत्रकार बना दिया है जो सरासर गलत है। इसपर लगाम लगना चाहिए। उन्होंने मेडिकल की भांति ही पत्रकारिता के क्षेत्र में भी प्रशिक्षित पत्रकारों को ही मीडिया संगठनों में कार्य करने का सुझाव दिया।
लोकमत, नागपुर के प्रधान संपादक विशाल मिश्रा ने कहा कि तकनीकी ने सूचना सम्प्रेषण की प्रक्रिया को काफी हद तक बदला है।
डिजिटल प्लेटफार्म ने अन्य सूचना माध्यमों को विस्तार दिया है। इससे सूचना का प्रवाह बढ़ा है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के पत्रकारिता विभाग से डॉ.अंजनी कुमार झा ने कहा कि सोशल मीडिया एक सस्ता एवं सुलभ माध्यम है लेकिन सूचना को तेजी से प्रसारित करने के चक्कर में सूचना दुर्घटना की आशंका बढ़ी है। गलत सूचना से भ्रम भी पैदा होने लगता है।
श्रीराम कथावाचक आचार्य शान्तनु महाराज ने कहा कि सोशल मीडिया ने हमारे जीवन पर बहुत ही व्यापक असर डाला है। हमें इसके सकारात्मक पक्ष को अंगीकार करना चाहिए लेकिन इसके कई दुष्परिणाम भी हैं। फेक न्यूज की समस्या आ गई है।
कार्यक्रम में डॉ.धीरज शुक्ला ने कहा कि कोविड-19 सम्बन्धित सूचना के प्रसार में सोशल मीडिया ने महती भूमिका निभाई है। लोगों को तत्काल सूचना मिल जाती है, लेकिन गलत सूचना भी प्रेषित हो जाती है। डॉ.सुनील कुमार मिश्र ने सोशल मीडिया के सकारात्मक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसने ऐसी ख़बरों को भी सम्प्रेषित करने का कार्य किया है जिनपर मेनस्ट्रीम मीडिया की नजर नहीं पड़ती। यह अन्य मीडिया का सहायक भी है।
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की अध्यक्ष प्रो.वंदना पांडेय ने वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सोशल मीडिया की व्यापक उपादेयता है। इस माध्यम ने सूचना सम्प्रेषण को बहुत ही आसान बना दिया है। हमें इस माध्यम का उपयोग स्वविवेक के आधार पर करना चाहिए। निष्पक्षता का ध्यान रखना चाहिए।
स्वागत राघवेन्द्र मिश्र और धन्यवाद डॉ.रमेश कुमार सिंह ने किया। संचालन श्रीराम सुधार मिश्र ने किया।
इस अवसर पर प्रो.आरपी सिंह, डॉ केके सिंह, डॉ.हमर डॉ.अभिषेक भारद्वाज, डॉ.सतीश कुशवाहा, डॉ वंदना जयसवाल, डॉ.सुनील, डॉ.विनय राय, मोहम्मद नूर, चन्द्रकांत सिंह , अजीत पांडे आदि ने विचार व्यक्त किये तथा इसमें देश-विदेश से 800 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबिनार के दौरान तकनीकी देख-रेख दीपक कुमार द्वारा किया गया एवं उत्कर्ष विश्वकर्मा द्वारा सरस्वती वंदना के द्वारा वेबीनार आरंभ किया गया।