धनपुरी के रियल कोरोना योद्धा हैं, रवि करण।
संभागीय ब्यूरो मोहित तिवारी
कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी ने चहुं6 ओर तांडव मचा रखा है। कुछ लोग तो खुद का ध्यान रख रहें, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद की परवाह न करते हुए समाज, अप्रवासी मजदूरों, नगरवासियों की सेवा में तन्मयता के साथ लगे हुए हैं।
अपने कर्तव्य के साथ साथ समाजसेवा का भाव लिए अपनी जेब से लोगों की मदद भी करते हैं।
एक ऐसी ही व्यक्तित्व के धनी धनपुरी नगर पालिका के सीएमओ रविकरण त्रिपाठी हैं जो अपने कर्तव्य के साथ साथ लोगों के समक्ष खुद जा कर जनता की परेशानियों को जानते एवं उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं। वे एक सच्चे कोरोना फाइटर साबित हो रहे हैं।
शहडोल में कोविड-19 के संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लागू किया था। इस दौरान कोयलांचल क्षेत्र धनपुरी में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के रूप में पदस्थ, रवि करण त्रिपाठी ने जिस प्रकार से हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया।
उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम होगी, वे धनपुरी के रियल कोरोना योद्धा हैं। इस आशय के विचार हिंदू जन जागरण समिति के संरक्षक नगर के वरिष्ठ समाजसेवी
विनोद शर्मा द्वारा व्यक्त किए गए हैं।
अपने कर्तव्यों का निर्वहन
श्री शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब जरूरतमंद लोगों को राशन की आवश्यकता सबसे अधिक थी, तब सीएमओ रवि करण त्रिपाठी ने दिन को दिन और रात को रात ना समझते हुए हर वक्त अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करते हुए जरूरतमंदों को राशन भोजन उपलब्ध कराया।
सफाई पर फोकस श्री शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए सीएमओ श्री त्रिपाठी द्वारा दिन-रात पूरे नगर में सफाई करवाई जाती थी, जिसका निरीक्षण वे स्वयं करते थे और सफाई व्यवस्था मजबूत करने के दिशा निर्देश कर्मचारियों को देते थे।
हर समय उपलब्ध। सीएमओ श्री त्रिपाठी की कार्य पद्धति के बारे में लोगों का कहना है की बाहर से आने वाले मजदूरों को भोजन करवाने या उनके लिए राशन की व्यवस्था करवाने के साथ-साथ उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने और उनका स्वास्थ्य परीक्षण आदि की जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निभायी।
यह धनपुरी नगर का सौभाग्य है कि यहां की नगर पालिका में रवि करण जैसे सीएमओ पदस्थ हैं। श्री शर्मा ने यह भी बताया की सीएमओ श्री त्रिपाठी के विरुद्ध कुछ लोग अनर्गल प्रचार करते हुए उनकी मुखाफत कर रहे हैं, इसके ठीक विपरीत लोगों का कहना है कि जब कोई अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग है। तो उन्हें यहां से हटाने का कोई औचित्य नहीं है।