अमानगंज में लाइट की आँख मिचौली आमजन त्रस्त।

अमानगंज में लाइट की आँख मिचौली आमजन त्रस्त।

अमानगंज से दीपेंद्र विश्वकर्मा की रिपोर्ट।

अमानगंज। अमानगंज में इन दिनों बिजली की आंख मिचौली से आम नागरिकों के लिए समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ तो हमारे आपके कीमती विद्युत उपकरण खराब हो रहे हैं। वहीं आम जन की जीवन शैली पर भी इस कटौती का खासा असर पड़ रहा है।

An illumination of light in amanganj was disturbed by the middle public.
An illumination of light in amanganj was disturbed by the middle public.

भीषण गर्मी में बार बार बिजली बंद हो जाना या फिर डिम लाइट हो जाना आम बात है। बिजली के लगातार बढ़ते बिल और उसके बाद कटौती के कारण बना नुकसान जनता के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रहा है।

इधर सुविधा के नाम पर विद्युत विभाग किसी भी प्रकार कि कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। एक तरफ सारे काम आनलाइन होते जा रहे हैं और दूसरी तरफ बिजली विभाग द्वारा किसी भी प्रकार से अपनी सेवाओं को अपग्रेड नहीं किया जाता।

An illumination of light in amanganj was disturbed by the middle public.
An illumination of light in amanganj was disturbed by the middle public.

केवल बिजली के बिल के अलावा जो चिंता का विषय है थोड़ी सी हवा चलते ही लाइट गोल कर दी जाती है। जिससे पूरा कामकाज ठप पड़ जाता है। बैंक, बीमा, जिला की पोस्ट आफिस, अस्पताल, नगर परिषद की जरूरी सैकड़ों सेवाएं थम सी जाती हैं। इनवर्टर भी चार्ज ठीक से नहीं हो पाते।

लाइट आते ही किसी तरह से काम को फिर से गति प्रदान की जाती है कि अचानक फिर से लाइट गोल हो जाती है। यह समझ से परे है कि गर्मी आते ही मेंटेनेंस के लिए घंटो लाइट को बंद करना, पेड़ों की डगालों को काटने का काम थोड़ा बहुत दिखाई भी देता है, पर क्या ये काम करके विद्युत विभाग बस जताना चाहता है की हम बहुत काम करते हैं।

जब थोड़ी से आंधी आई कि बिजली गुल फिर क्या मतलव हुआ। इस मेन्टिनेंस का करोड़ों रूपये खर्च होते हैं। मेन्टिनेंस के नाम पर रात में जव बिजली गुल हो जाने से मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है और लोग बीमारियों के शिकार होकर बीमार हो जाते हैं।

रात को बिजली गुल हो जाने से लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित होती है जो कि अगले दिन तक अपना प्रभाव दिखाती है। जिसको राष्ट्रीय श्रम नुकसान कहा जा सकता है। हर वर्ष बिजली के दामों में बढ़ोतरी भी होती है।

कुछ लोगों को विद्युत बिलों में छूट का प्रावधान भी बन जाता है लेकिन वहाँ भी मुँह देखी पंचायत की जाती किसी का ज्यादा बिल कनेक्शन चालू किसी का कम बिल, फिर भी लाइट कनेक्शन कट कर दिया जाता है। दिन में 50 बार लाइट जाती है।

हर विभाग का सिस्टम होता है, पर विद्धुत विभाग का कोई सिस्टम नहीं। कब लाइट आये, कब जाए जैसे आम आदमी जानवर हो। उससे इस विभाग के अधिकारियों को या लाइट ठेकेदारों कोई मतलब ही नहीं। बस ईमान धर्म बच ही नहीं रहा है।

जनाब अपनी सरकार की मदहोशी में राजनेताओं को जनता की फिक्र कहां बस इनसे अच्छे भाषण दिलवा लीजिये ओर यहां के नेता नेताजी जनाब ये सरकार पाँव पसार के सोते हैं। सारे कदम फॉर्मल तरीके से हो रहे हैं। कुछ जनाब ये नेता इस विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन भी देते हैं पर भला इनकी सुनता कोन है।

इस विभाग के ज्यादातर अधिकारी इस कान से सुनकर उस कान से उड़ा देते हैं। हम पूछेगे कहा चली जाती है। उन नेताओं की बड़ी बड़ी बातें जो ललकार कर कहते हमारी सरकार तुम्हारी सरकार खामियाजा केवल जनता भोग रही है।

आज यदि विद्धुत भार वृद्धि कम्प्यूटर में गलती से हो गई है ओर कम करानी हो तो बिना दलाल की सहायता के नहीं हो सकता। विभाग की लचर व्यवस्था से लोगों को सही तरीके से बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है। विभाग की इस अव्यवस्था से जहां आमजन परेशान हैं वहीं व्यवसायी भी नाराज हैं।

बारिश का मौसम होने से यह परेशानी और भी ज्यादा भयावह होने लगी है। बारिश के मौसम में शहर के कई वार्डो में जहरीले जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है जोकी लाइट न होने से और गंभीर हो जाता है। बिजली की इस आंख मिचौली से रोजमर्रा की जिंदगी पटरी से उतरने लगी है लेकिन लगता नहीं बिजली विभाग इस समस्या से लोगों को निजात दिलाने को लेकर गंभीर है।

कौन सुनेगा किसको सुनाएं:

नगर की बिजली व्यवस्था लम्बे समय से काम चलाऊ हिसाब में चलती रही है। चाहे झूलते तारों की बात हो या जर्जर ट्रांसफार्मरों की। इन विषयों पर कभी विभाग संजीदा नजर नहीं आता। सुधार के नाम पर काम चलाऊ मरम्मत की परंपरा चली आ रही है।

अब लंबे समय तक लाइट का चले जाना बड़ी समस्या बनने लगी है। मुश्किल यह है कि कर्मचारी और अधिकारी बिजली की अव्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं हैं। ऐसे में लोग यही कह रहे है कि कौन सुनेगा, किसको सुनाएं वाली कहावत चरितार्थ होती है। इस सम्बन्ध में डीई साहब हो या ई साहब सब के तेवर बिजली की तरह ही अधिकतर आम जन के लिये अधिकतर गुल हो जाते नजर आ जा रहे हैं।

पसंद आई खबर, तो करें शेयर