भुरसी रेत खदान में भयावह स्थिति। हो सकता है बड़ा हादसा।
शहडोल से संभागीय ब्यूरो मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
मध्यप्रदेश की अधिकांश नदियों का उथला होते जाना और थोड़ी सी बरसात में उफन जाना, तटों के कटाव के कारण बाढ़ आना और नदियों में जीव जंतु कम होने के कारण पानी में ऑक्सीजन की मात्र कम होने से पानी में बदबू आना, ऐसे ही कई कारण हैं जो मनमाने रेत उत्खनन से जल निधियों के अस्तित्व पर संकट की तरह मंडरा रहे हैं।
आज हालात यह हैं कि कई नदियों में ना तो जल प्रवाह बच रहा है और ना ही रेत। सभी जानते हैं कि प्रदेश की बड़ी नदियों को विशालता देने का कार्य उनकी सहायक छोटी नदियां ही करती हैं। बीते एक डेढ़ दशक में प्रदेश में कई छोटी नदियां लुप्त हो गईं हैं।
इसका असल कारण ऐसी मौसमी छोटी नदियों से बेतहाशा रेत को निकालना था। जिसके चलते उनका अपने उद्गम से लेकर बड़ी नदियों से मिलन का रास्ता बंद हो गया। देखते देखते वहां से पानी रूठ गया।
परिवर्तित मध्यप्रदेश सरकार जब से सत्ता का मोर्चा सम्हाला तब से लाकडाउन, कोविडकाल ने पूरे प्रदेश में दहशत का माहौल बनाया कितने लोग तो मौत के मुँह में समा गए।
ऐसे समय में जहां आर्थिक तंगी से लोग जूझ रहे थे और अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ा हुआ है। जिले में विकास कार्यों के लिए रेत आपूर्ति के लिए रेत खदान आवंटित हुई किन्तु रेत खदान लोगों को काल के मुँह में समेटेगा इसका अंदेशा नहीं था।
जिस तरह से जिला मुख्यालय से चन्द दूरी पर स्थित भुरसी रेत खदान में भयावह स्थिति बनती जा रही है। कहीं तमंचों की गूंज तो कहीं दबंगों का फोन से लेकर गली चौराहों पर शोर शराबा अगर सब कुछ यूं ही चलता रहा तो निश्चित रूप से आगामी समय में किसी बड़े वारदात को अंजाम दिया जाएगा।
गहरी निद्रा में सो रहे जिले के जिम्मेदारों की नींद किसी अप्रिय घटना के बाद खुलेगी।
शहडोल जिले की रेत खदानों का ठेका वंशिका ग्रुप की वंशिका कंस्ट्रक्शन को 44 करोड़ रुपये की लगभग ऊंची बोली पर मिला है। अच्छे राजनीतिक संबंध के चलते इन्हें पूर्व में पंचायतों के अधीन रहीं जिले की चार खदानों में काम करने की अनुमति मिली है।
काम शुरू होने के पहले ही दिन भुरसी खदान में जेसीबी और पोकलेन मशीन उतार दी। जिसका ग्रामीणों ने विरोध जताया। बात प्रशासन के कानों तक पहुंची। प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए पोकलेन और एक जेसीबी मशीन जब्त की। नियमानुसार पांच हेक्टेयर की खदानों में मशीन लगाने की अनुमति नहीं है। तो क्या वंशिका ग्रुप के खिलाफ पर्यावरण उल्लंघन कार्यवाही होगी या इसी तरह नदियों का सीना छलनी किया जाएगा
किसकी शह पर चली भुरसी खदान में गोली :
सूत्रों के अनुसार भुरसी रेत खदान में कुछ दिन पहले गोली चलने को लेकर बाजार गर्म था अब यह किस हद तक सच है। इस बात का पता तो जिले की कानून व्यवस्था देखने वाले ही लगा सकते हैं यदि गोली चली तो जवाबदेहों की नींद क्यों नही खुली। क्या उमरिया जैसी बड़ी वारदात के बाद ही जिले की रेत व्यवस्था सुधरेगी या फिर किसी के रक्त रंजन के बहते स्रावों से…..
नेता जी इनकी राह पर:
शहर के स्थानीय छुटभैया नेता भी इनके शागिर्दों में शुमार हैं इतना ही नहीं कथित नेता के तमाम तरह के अवैध कारोबार हैं जिनकी पुलिस डायरी खंगालने पे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
विदित हो कथित नेता ने बीते दिनों चौथे स्तम्भ की बागडोर सम्हालने वाले कलमवीर पे भी धाबा बोला था। मामले ने तूल तो पकड़ा था किंतु स्थानीय जिम्मेदारों ने ले देकर मामला रफा दफा कर दिया था।
कथित नेता पुनः एक बार अवैध कार्यो को करने में जुट गए। कथित नेता के अवैध पत्थरों और सरदार जी के रेत मामला शहरों में शोर मचाकर रखा है। जिसकी गूंज शायद जिले की बागडोर सम्हालने वालों को नहीं सुनाई देती।