मुंगेली। निजी अस्पतालों को अपना नाम देकर सरकारी डाक्टरों की कारगुजारियां बदस्तुर जारी हैं।

मुंगेली। निजी अस्पतालों को अपना नाम देकर सरकारी डाक्टरों की कारगुजारियां बदस्तुर जारी हैं।

अक्षय लहरे के साथ ईश्वर जांगडे की रिपोर्ट।

जहां अपना नाम देकर रायल्टी वसूलने में लगे डाक्टर ऐसे लोगों के साथ काम करने से भी नहीं चूकते जो सारे नियमों को ताक पर रख सिर्फ मुनाफा कमाने में लगे हैं। बिना वैध कागताज और शासन के आदेशों को ताक में रख कर खुलने वाले ऐसे निजी नर्सिंग होम की तरफ प्रशासन की पकड का न बन लोगों के साथ नाइंसाफी के समान प्रतीत होता है।

Government doctors are in a bad way by naming private hospitals.
Government doctors are in a bad way by naming private hospitals.

जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों को संज्ञान लेना अतिआवश्यक है, ताकी ऐसे नर्सिंग होम और डाक्टरों को सरकारी महकमें का भय बना रहे और ये लोगों के जीवन से खिलवाड न कर सकें।

गौरतलब हो कि जिले और नगर में चल रहे नर्सिंग होम की आड़ में होने वाले एबॉर्शन और डॉक्टरों द्वारा वसूले जाने वाली मोटी रकम पर नकेल कसने में नाकाम रहे स्वास्थ्य महकमे को अब कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करते हुए झोलाछाप पर कार्यवाही कर औपचारिकता पूरी करते आसानी से देखा जा सकता है।

मिली जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 12 नर्सिंग होम सरकारी मान्यता प्राप्त हैं जिसके बावजूद भी कई नर्सिंग होम जिले में संचालित हैं।

जिला बने लगभग सात साल हो चुके हैं ऐसे में अब दूसरे जगह के बड़े डॉक्टरों की नजर मुंगेली में पड़ने लगी हैं, जिसके चलते मुंगेली में नर्सिंग होम की बाढ़ सी लग गई है। बिना सरकारी मापदंड को पूरा किये ये लोग जल्दबाजी में नर्सिंग होम का उद्घाटन तो कर लेते हैं, और कुछ महीनों के बाद या तो ये नर्सिंग होम बंद हो जाते हैं या फिर किराए के डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दिये जाते हैं।

जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है, और डॉक्टर अपनी मोटी कमाई पर अपना सारा ध्यान लगा देते हैं। भले ही मरीज की स्थिति उनके फीस को भरने की हो या न हो।

मापदंड पूरा किये बिना चलते नर्सिंग होम, नर्सिंग होम एक्ट के तहत नर्सिंग होम खोलने की परमिशन निर्धारित मापदंड को पूरा करने के बाद ही मिलती हैं, पर ये डॉक्टर सिर्फ़ आवेदन करने के बाद धड़ल्ले से अपना कारोबार शुरू कर देते हैं, न वहां व्यवस्थित रूप से कोई व्यवस्था उपलब्ध होती हैं और न ही उनके द्वारा मेडिकल कचरे को व्यवस्थित रखा जाता है।

नर्सिंग होम की आड़ में दुकानदारी:

नर्सिंग होम की आड़ में दुकानदारी की प्रथा चल पड़ी है, जिसके चलते इलाज के लिये आये मरीजों के परिजनों को जो दवा की पर्ची थमाई जाती है वो दवा सिर्फ़ परिसर में स्थित मेडिकल में ही मिल सकती हैं, बाहर से लाने पर स्टाफ या डॉक्टर द्वारा इसे अमान्य कर दिया जाता है।
जो एक गंभीर विषय है, जिस ओर प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

हो रहा धड़ल्ले से एबॉर्शन और बिना अनुमति ऑपरेशन:

ज्यादातर नर्सिंग होम के पास मान्यता की कमी है उनके द्वारा सिर्फ विभाग को आवेदन दिया गया है, उनकी मान्यता अभी विभाग द्वारा प्रदान नहीं किया गया है, फिर भी ये नर्सिंग होम बिना किसी भय के ऑपरेशन और एबॉर्शन का कार्य संचालित करते हैं, जो एक गैर कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है, परंतु कुछ वरदहस्त होने के कारण ये बिना डर भय के अपने काम को अंजाम देने में लगे रहते हैं।

नर्सिंग होम और झोलाछाप डॉक्टर:

प्रायः ये देखा जा सकता है कि इन झोलाछाप डॉक्टर और नर्सिंग होम के बीच साठगांठ होती हैं, जिसका फायदा दोनों मिलकर उठाते हैं। जिले में विगत कुछ दिन पहले झोलाछाप डॉक्टर पर ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई आलम ये रहा कि दो लोगों के पास से अंग्रेजी दवाओं से साथ साथ सर्जिकल सामान भी बरामद किया गया, परंतु क्या इन छोटी मछलियों को पकड़ कर विभाग अपनी पीठ थपथपायेगा फिर बड़ी मछलियों पर कुछ ठोस कदम उठाया जाएगा। ये तो आने वाला समय ही बताए।

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